नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क : साल 1983 का था और वर्ल्ड क्रिकेट में वेस्टइंडीज का एकतरफा राज था। दो विश्व कप कैरेबियाई टीम जीत चुकी थी और पूरी दुनिया को वेस्टइंडीज की हैट्रिक का मानो यकीन था। इंग्लैंड की धरती पर उस समय की सबसे फिसड्डी टीम कहे जाने वाली भारतीय टीम भी विश्व कप में हिस्सा लेने पहुंची थी। टूर्नामेंट के आगाज से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कपिल देव ने कहा था कि वह अपनी टीम के साथ इंग्लिश सरजमीं पर नया इतिहास लिखने आए हैं।
हर किसी ने उस समय इस भारतीय कप्तान की खिल्ली उड़ाई थी और उनकी बात को हंसी में उड़ा दिया था। जबकि , 25 जून 1983 को वेस्टइंडीज को हराकर कपिल देव ने विश्व क्रिकेट को अपना दीवाना बना दिया था। आज उसी कप्तान का जन्मदिन है और उनकी उपलब्धियों को जानने का इसका अच्छा दिन और क्या ही होगा।
जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली वो 175 रनो की पारी
1983 विश्व कप में भारत की भिड़ंत जिम्बाब्वे के साथ हो रही थी। टॉस जीतकर कप्तान कपिल देव ने बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया था। कहा जाता है कि कपिल देव टॉस जीतने के बाद तुरंत नहाने चले गए थे, क्योंकि वह बैटिंग क्रम में छठे नंबर पर उतरते थे। जबकि , शायद उस दिन कपिल को भी यह अंदाजा नहीं था कि उनके नहाते भर में ही आधी टीम पवेलियन लौट जाएगी और उनको आनन-फानन में मैदान पर उतरना पड़ा।
17 रन पर 5 विकेट गिरने के बाद कपिल देव को क्रीज पर आना पड़ा। उस दिन कपिल 22 गज की पिच पर नया इतिहास लिखने मैदान पर उतरे थे। कपिल ने दबाव वाली परिस्थिति में विस्फोटक अंदाज में बल्लेबाजी किया और 138 गेंदों पर 175 रनो की वो ऐतिहासिक पारी खेली, जिसका जिक्र आज भी किया जाता है। कपिल की इस पारी को वर्ल्ड क्रिकेट ने दोनों हाथ जोड़कर सलाम किया था।