Mahakumbh 2025 : वसंत पंचमी पर अखाड़ों का अमृत स्नान जारी

MAHAKUMBH-2025

महाकुंभ नगर, डिजिटल डेस्क : बसंत पंचमी के पवित्र अवसर पर सोमवार को त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान के लिए आस्था का जनसमुद्र उमड़ पड़ा। महाकुंभ के तीसरे अमृत स्नान पर करोड़ों श्रद्धालु देर रात से ही पुण्य की कामना के साथ संगम की रेत पर एकत्रित होने लगे। हर-हर गंगे, बम बम भोले और जय श्री राम के गगनभेदी उद्घोष से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा।

सुबह करीब 3 बजे से अखाड़ों का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान शुरू हुआ। इस बीच नागा साधु करतब करते हुए दिखाई दिए। प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा करवाई। वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर संगम में अब तक 81.24 लाख लोगों ने डुबकी लगाई है। प्रशासन के अनुसार, अब तक संगम में 34.97 करोड़ लोगों ने स्नान किया है।
सीएम योगी के विशेष निर्देश पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं।

महाकुंभ मेला क्षेत्र में डीआईजी और एसएसपी खुद मैदान में उतरकर व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं।

श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद किया दान-पुण्य

श्रद्धालुओं के साथ साधु-संत, महामंडलेश्वर और देश-विदेश से आए भक्त संगम में पवित्र डुबकी लगाते नजर आए। इसके साथ ही सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अमृत स्नान के लिए अद्भुत और दिव्य महाकुंभ की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई। यातायात पूरी तरह सुचारु रहा और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। स्नान के बाद श्रद्धालु दान-पुण्य करते दिखे।

महाकुंभ का डिजिटल स्वरूप बना आकर्षण का केंद्र
बसंत पंचमी के अवसर पर अमृत स्नान के दौरान महाकुंभ का डिजिटल स्वरूप भी आकर्षण का केंद्र बना रहा। जहां हर व्यक्ति इस दिव्य अनुभूति को अपने कैमरे में सुरक्षित करने के लिए उत्साहित नजर आया। संगम तट पर फूल-मालाओं से लदे संतों पर उत्साहित श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया, जिससे पूरे महाकुंभ का माहौल और भव्य बन गया।
महाकुंभ 2025 के अंतिम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना।

त्रिवेणी तट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक था। कभी डमरू बजाते हुए तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन कर रहे थे।

घोड़ों पर और पैदल निकली शोभा यात्रा

बसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार थे तो कुछ पैदल चलते हुए अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए थे। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया। स्व-अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था, लेकिन वो अपने अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए आगे बढ़े।

नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी विशेष बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुम्भ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव है।

India’s cricketers will score 200 against New Zealand Designs of Mehendi for Karwa Chauth in 2024 Indian Women’s T20 World Cup Qualifiers Simple Fitness Advice for the Holidays Top 5 Business Schools in the World