नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : साल 2025 के लिए नोबेल पुरस्कारों का एलान शुरू हो गया है। सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल के एलान के बाद मंगलवार को नोबेल समिति ने भौतिकी में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की है।
साल 2025 के लिए भौतिकी का नोबेल 3 वैज्ञानिकों जॉन क्लार्क, मिशेल एच डेवोरेट, जॉन एम मार्टिनिस के नाम रहा। इन तीनों को ये पुरस्कार ‘विद्युत परिपथ में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम, मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन की खोज के लिए दिया गया है।
कितनी मिलती है धनराशि ?
बता दें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा हर साल फिजिक्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट खोजों के लिए दिया जाता है। नोबेल प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों को इनाम के तौर पर कुल 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन (यानी 12 मिलियन डॉलर) की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाता है, अगर एक जैसी खोज के लिए कई वैज्ञानिकों को साझेदारी में नोबेल प्राइज मिलता है तो ऐसी दशा में पुरस्कार राशि को सभी में बांट दिया जाता है.
अगले हफ्ते मिलेगा रसायन का नोबेल
नोबेल ज्यूरी की परंपरा के अनुसार, भौतिकी का नोबेल इस हफ्ते दिया जाने वाला दूसरा नोबेल है, इससे पहले दो अमेरिकी और एक जापानी वैज्ञानिकों को प्रतिरक्षा के क्षेत्र अभूतपूर्व योगदान के लिए चिकित्सा का पुरस्कार मिला था। अगले बुधवार को केमिस्ट्री में नोबेल का एलान किया जाएगा।
कैसे हुई नोबेल प्राइज मिलने की शुरुआत ?
नॉबेल प्राइज की शुरुआत अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर की गई थी। जिन्होंने ‘डायनामाइट’ का आविष्कार किया था। डायनामाइट के पेटेंट से नोबेल ने अपार धन-संपत्ति इकठ्ठा कर ली थी। भले ही अल्फ्रेड वास्तविक जीवन में शांतिप्रिय व्यक्ति थे लेकिन उनके आविष्कारों ने कहीं न कहीं मानवता के खात्मे का जिम्मा उठा रखा था। इसीलिए अपनी मृत्यु से ठीक पहले उन्होंने अपनी वसीयत बनाई थी। जिसमे उन्होंने लिखा था कि, ‘एक पुरस्कार हर साल उस व्यक्ति को दिया जाएगा दो राष्ट्रों के बीच भाईचारे के लिए सबसे बेहतर काम करेगा।’ 10 दिसंबर 1896 में अल्फ्रेड नोबेल के निधन के ठीक पांच साल बाद 1901 में नोबेल प्राइज की शुरुआत हुई।