नई दिल्ली, एंटरटेनमेंट डेस्क : सेट पर कार्य करने का हर अभिनेता का अपना तरीका होता है। कई अभिनेता बिल्कुल वैसे ही परफॉर्म करते है, जैसा कहा गया होता है, तो वहीं कई कलाकार ऐसे होते हैं, जो सीन में अपनी और से बदलाव करने का प्रयास करते हैं। टाइगर जिंदा है, वार और पद्मावत फिल्मों की अभिनेत्री अनुप्रिया गोयनका करियर की प्रारम्भिक दौर में अपनी तरफ से कुछ भी बदलाव करने के बारे में पहले काफी सोचती थीं।
सेट पर काम करना एक निजी प्रक्रिया
बातचीत में अनुप्रिया कहती हैं कि सेट पर आप कैसे कार्य करते हैं, वह बहुत ही निजी प्रक्रिया है। आप जब शुरुआती दौर में फिल्म इंडस्ट्री में आते हैं, माहौल का असर आप पर रहता है, जैसे आप जीवन में किस जगह पर हैं, क्या-क्या किया है। सेट पर कलाकार को आजादी तो होनी चाहिए, लेकिन उन्हें निर्देशक का सम्मान भी करना चाहिए।
टेक खराब न हो जाए,इसलिए लगा रहता है डर
कई बार शुरुआती दौर में मुझे लगता था कि मैं अपने सीन को थोड़ा अलग ढंग से करूं, लेकिन फिर डर लगता था, क्योंकि निर्देशक कई चीजों में व्यस्त होते हैं। उनके पास केवल मेरे सवालों का जवाब देने का ही एक कार्य नहीं होता है। मैं पहले सवाल नहीं पूछती थी, इसलिए प्रयोग भी नहीं कर पाती थी।
सेट पर माहौल काफी अलग होता है
कई वरिष्ठ कलाकारों से बात होती थी, तो वह बोलते थे कि आपको जो करना है, वह करो। अगर निर्देशक को पसंद नहीं आएगा, तो वह दूसरा टेक लेंगे। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि सबका काम सीन में अच्छा कर रहे है, मेरा बदलाव कहीं पूरे सीन को न बिगाड़ दे। बतौर कलाकार हम जब सीन को पढ़ते हैं, तो अपने दिमाग में एक विजुअल बना लेते हैं कि पात्र का सुर क्या होगा, संवाद कैसे बोलूंगी । लेकिन सेट पर माहौल बहुत अलग होता है। खुद को फिर उस माहौल के हिसाब से तैयार करना पड़ता है। खैर, वह समय अलग था, अब प्रयोग कर पाती हूं।