फर्रुखाबाद, संवाददाता : कानपुर की एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने खेत की नाप कराने के नाम पर 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते कानूनगो को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया है। सदर तहसील में नियुक्त कानूनगो के पास एसडीएम का एक फर्जी पहचान पत्र मिला है।
सदर तहसील के कमरा नंबर 15 में बुधवार दोपहर करीब एक बजे अचानक घुसे छह-सात लोगों ने पिपरगांव क्षेत्र के कानूनगो विवेक तिवारी और उसके कंझियाना, जहानगंज निवासी निजी सहयोगी उमाशंकर को गिरफ्तार कर लिया। अचानक शोरगुल होने के कारण अन्य कर्मचारी भी बाहर निकल आए।
टीम ने कहा कि वह एंटी करप्शन टीम के लोग हैं। कानूनगो और सहयोगी को मऊदरवाजा थाने ले जाया गया। मुरहास जैतपुर निवासी अमर सिंह कुशवाह ने कहा कि उनके साढ़े 13 बीघा खेत की पैमाइश होनी थी। उन्होंने एक बार आदेश कराया तो उसे निरस्त कर दिया गया। दोबारा फिर पैमाइश का आदेश कराया, तो कानूनगो विवेक तिवारी ने उनसे 10 हजार रुपये रिश्वत मांगी। परेशान होकर उन्होंने कानपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो में संपर्क किया। वहां से 10 हजार रुपये लेकर टीम के साथ वह सदर तहसील पहुंचे। कमरे में बैठे सहयोगी उमाशंकर ने पहले रुपये गिने, फिर कानूनगो ने गिनकर रुपये जेब में रख लिए।
इसी दौरान पहुंचे टीम प्रभारी जटाशंकर, इंस्पेक्टर मृत्युंजय मिश्रा, चंद्रभान चौहान, दरोगा अर्चना शुक्ला, आशीष कुमार आदि ने रिश्वत लेते रंगे हाथों दोनों को गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि कानूनगो विवेक की जेब से एक एसडीएम का फर्जी आईकार्ड भी मिला है। उसने पूछताछ में कहा कि टोल आदि पर वह इसी कार्ड का प्रयोग करता था। वह मूल रूप से फतेहपुर के थाना सदर कोतवाली के मोहल्ला हरिहरगंज निवासी है। कानूनगो और सहयोगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
एक घंटे कार्य रहा प्रभावित
एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम की कार्रवाई होते ही कमरों में काम कर रहे कर्मचारी बाहर निकल आए। लेखपाल भी एकत्रित होकर अचानक गिरफ्तारी को लेकर काफी चौकन्ने दिखे। इसको लेकर एक घंटे तक सभी पटलों पर कामकाज प्रभावित रहा। हर पटल पर गिरफ्तारी की ही चर्चा होती रही।
सीट पर रिश्वत का खेल, अधिकारी अनजान
अभी तक कार्य के बदले रूपये लेने का खेल तैनाती स्थल से दूर हटकर होता था, मगर सदर तहसील में पकड़ा गया कानूनगो अपनी सीट पर ही बैठकर रिश्वत लेता था। खुलेआम रिश्वत का खेल होने के बावजूद चंद कदम दूर दफ्तरों में बैठने वाले जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं थी। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम की कार्रवाई होने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
बाल-बाल बचा एक और लेखपाल
गरीब किसान से रिश्वत मांगने के खेल में एक लेखपाल भी सम्मिलित था। वह कई बार पीड़ित से सेवा करने की बात कह चुका था। कहा जाता है कि बुधवार को जब कानूनगो को रिश्वत के 10 हजार रुपये दिए गए उससे कुछ देर पहले ही एक लेखपाल उनके कमरे से निकलकर बाहर गया था। गनीमत रही कि वह कमरे में नहीं मिला अन्यथा उसका भी जेल जाना तय था।