ISRI : आईपीएस के मध्य पूर्व जोनल चैप्टर के कार्यक्रम का हुआ आगाज

LUCKNOW-NEWS

लखनऊ,शिव सिंह : भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी नई दिल्ली के सहयोग से भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में खाद्य सुरक्षा के लिए पादप स्वास्थ्य खतरे और वादे विषय पर चार दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इकतीस जनवरी को कार्यक्रम के विषय में चर्चा परिचर्चा की गयी।मुख्य तौर पर कार्यक्रम एक फरवरी से शुरू हुआ। सम्मेलन का उ‌द्घाटन दीप प्रज्ज्वलन और परिषद गीत के साथ किया गया।

डा० आर विश्वनाथन ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों का किया स्वागत

प्रारंभ में डा० आर विश्वनाथन ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया और सम्मेलन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिनिधियों को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ की गतिविधियों के बारे में भी अवगत कराया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा० टी आर शर्मा ने विभिन्न फसलों में नई बीमारियों के उद्भव पर प्रकाश डाला जिससे बदलते जलवायु परिदृश्य में पौधों की सुरक्षा के लिए पहले से मौजूद खतरों में जटिलताएं जुड़ जाती है जो कृषि के लिए लगातार खतरा पैदा कर रही हैं।

उन्होंने टिकाऊ और लचीली कृषि की हमारी खोज में अत्याधुनिक प्रौ‌द्योगिकियों को सामने लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी प्रतिनिधियों को अधिक लचीली और सफल कृषि के लिए संगोष्ठी के विभिन्न विषयों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। डा० टीआर शर्मा ने तीन नव विकसित प्रयोगशालाओं का उ‌द्घाटन भी किया। जिसमें आण्विक जीवविज्ञान प्रयोगशाला, जैव प्रोद्योगिकी प्रयोगशाला और आण्विक पादप रोगविज्ञान प्रयोगशाला शामिल हैं।डा० काजल कुमार विश्वास ने आईपीएस की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। विशिष्ट अतिथि डा० पीके सिंह ने जी20 के परिपेक्ष्य में भारत सरकार के एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी।

डा० एससी दुबे ने किसानों के लाभ के लिए एक समग्र तरीका विकसित करने पर दिया जोर

उन्होंने उन प्रौद्योगिकियों के विकास पर जोर दिया जिनसे किसानों को लाभ होगा और खाद्य सुरक्षा भी बनी रहेगी। आईपीएस के अध्यक्ष डा० एससी दुबे ने किसानों के लाभ के लिए प्रौद्योगिकियों के विस्तार और प्रसार को मजबूत करने के लिए एक समग्र तरीका विकसित करने पर जोर दिया। डा० एएन मुखोपाध्याय ने प्रतिनिधियों को सूचित किया कि यद्यपि हम 1947 में पचास मिलियन टन की तुलना में थे अब तीन सौ पचास मिलियन टन खाद्यान का उत्पादन कर रहे हैं, फिर भी भारत विश्व भूख सूचकांक में 111वें स्थान पर है। उन्होंने छात्रों से कम लागत वाली तकनीक विकसित करने के बारे में सोचने का आह्वान किया, जिसे किसान आसानी से अपना सके।

गणमान्य व्यक्तियों के संबोधन के बाद सम्मेलन स्मारिका और “पादप रोगविज्ञान और रोग प्रबंधन की अवधारणा पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया। वैज्ञानिकों को उनके विशिष्ट कार्य के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और आईपीएस मान्यता पुरस्कार सहित कई पुरस्कार प्रदान किए गए। भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के कुछ सेवानिवृत्त पादप रोगवैज्ञानिकों को भी उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। सम्मेलन में लगभग पचास मौखिक तथा सौ पोस्टर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। सत्र का समापन आयोजन सचिव डा० दिनेश सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन डा० अनिता सावनानी ने किया।

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