नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : इस सीजन में पूरे देश में मानसून मेहरबान है। यही कारण है कि भारत के बड़े हिस्से में भारी वर्षा ने जून में हुई कम वर्षा की भरपाई कर दी है। यानी कि जुलाई के महीने में अब तक शानदार वर्षा दर्ज किया गया है, जिससे मानसूनी बारिश औसत प्रतिशत से ज्यादा हो गई है।
मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के ताजा आंकड़े के अनुसार , अगले दो-तीन दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत और प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी भागों के साथ में अगले पांच दिनों के दौरान पूर्वोत्तर भारत में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
जून के महीने में 11 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी
मौसम विभाग ने कहा है कि पूरे भारत में जून के महीने में 11 प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा में 33 फीसदी की कमी दर्ज की गई। बता दें कि भारत चावल की पैदावार करने वाले देशों में तीसरे पायदान पर है। कम वर्षा की वजह से चावल की फसल पर काफी प्रभाव पड़ता है।
जुलाई में हुई भारी वर्षा ने कमी की भरपाई की
वर्षा के आंकडे बता रहे हैं कि जुलाई के पहले हफ्ते में हुई भारी वर्षा ने कमी की भरपाई कर दी है। मगर इसकी वजह से पूर्वोत्तर के कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 1 जून को मानसून सीजन शुरू होने के बाद से देश में 214.9 मिमी वर्षा हुई है, जबकि सामान्य तौर पर वर्षा 213.3 मिमी होती है।
उत्तर-पश्चिमी भारत में 3 प्रतिशत ज्यादा वर्षा दर्ज
उत्तर-पश्चिमी भारत में 3 प्रतिशत और दक्षिणी प्रायद्वीप में 13 फीसदी ज्यादा वर्षा दर्ज की गई है। पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में 30 जून तक 13 प्रतिशत कम बारिश हुई थी, लेकिन 6 जुलाई को यह आंकड़ा शून्य हो गया। इसी दौरान सेंट्रल इंडिया में वर्षा की कमी 14 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई है।
बाढ़ से जूझ रहे पूर्वोत्तर भारतीय राज्य
मौसम विभाग ने कहा है कि अगले पांच दिनों तक पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश जारी रहेगी। पूर्वोत्तर राज्य पहले से ही भयंकर बाढ़ से जूझ रहे हैं। असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। बाढ़ में लगभग 25 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं और 52 लोगों की जान चली गई है। इसके अलावा मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण नदियां खतरे के स्तर तक पहुंच गई हैं।