रायबरेली, संवाददाता : 9 हजार फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच की आंच प्रधानों तक भी पहुंच गई है। अधिकारिक स्तर से प्रधानों से भी पूछताछ की जा रही है। वहीं प्रधानों ने घर-घर प्रमाण पत्रों की जांच के लिए टीम बनाई है। प्रधानों के लिए भी यह फर्जीवाड़ा किसी समस्या से कम नहीं है। प्रधानों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि उनके गांवों में आबादी से अधिक प्रमाण पत्र कैसे बन गए। इसके साथ ही किसी को खबर भी नहीं लगी। गांवों के खुफिया सूत्र भी इस मामले में पूरी तरह से फेल हुए हैं।
19 हजार 200 फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच का है मामला
सलोन के नुरुद्दीनपुर, सिरसिरा, लहुरेपुर, गढ़ी इस्लामनगर, गोपालपुर में 19 हजार 200 फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच का मामला गर्म है। मामले में वीडीओ विजय बहादुर तथा सीएचसी संचालक जीशान समेत चार आरोपियों को जेल भेजा गया है। एटीएस मामले की जांच कर रही है तो प्रशासनिक स्तर पर मामले की रिपोर्ट तैयार हो रही है। एक बार रिपोर्ट तैयार हो चुकी है, लेकिन अब फिर से उसकी रैंडम चेकिंग कराई जा रही है।
इसके बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। वहीं मामले को लेकर शासन के उच्चाधिकारी भी बराबर प्रशासनिक अधिकारियों से फीडबैंक ले रहे हैं। मामले की जांच का दायरा बढ़ाया गया है और ग्राम प्रधानों से भी जानकारी ली जा रही है। वहीं ग्राम प्रधान भी इस कांड से असहज हैं।
बताते हैं कि नुरूद्दीनपुर गांव की आबादी छह हजार से सात हजार के बीच में है और इसी गांव में सबसे अधिक 10 हजार के अधिक फर्जी प्रमाण पत्र बन गए हैं। प्रधान अब जांच के लिए अपनी एक टीम बनाकर घर-घर सर्वे करा रहे हैं। प्रधान का कहना है कि इसमें समय लगेगा, लेकिन असलियत पता करना भी जरूरी है। पुलिस भी जांच में प्रधानों का सहयोग ले रही है। वहीं खुफिया तंत्र भी गांव पर नजर रखे हुए हैं। फर्जीवाड़ा वाले गांवों में आने जाने वालों पर भी नजर रखी जा रही है।