मेरठ, संवाददाता : न्यायालय अपर जिला जज कोर्ट संख्या-दो प्रहलाद सिंह ने सात साल पहले पार्षद आरिफ और उसके दोस्त शादाब उर्फ भूरा की हत्या के मामले में माफिया शारिक और उसके तीन भाइयों और पुत्र समेत सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। शारिक प्रदेश स्तर पर चिन्हित माफिया है। उसका गैंग डी-103 के नाम पर पंजीकृत है।
जुलाई 2017 आरिफ और शादाब की गोली मारकर हुई थी हत्या
नौ जुलाई 2017 को कोतवाली थाना क्षेत्र के बनीसराय में पार्षद आरिफ और शादाब की गोली मारकर हत्या की गई थी। उस समय दोनों कसाई वाली मस्जिद के पास नाई की दुकान पर मौजूद थे। आरिफ की मौके पर ही मौत हो गई थी। घायल शादाब ने भी उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। आरिफ के भतीजे आमिर ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें शारिक और उसके भाइयों और पुत्र समेत सात को नामजद किया गया था। पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
विवेचना में सामने आया कि 26 दिसंबर 2016 को बिलाल हत्याकांड में जेल में बंद आरिफ के भतीजे सलमान से मिलाई करके लौट रहे किन्नर शमशाद की साकेत क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी। मामले में आरिफ और शादाब उर्फ भूरा गवाह थे। दोनों गवाहों पर आरोपियों की ओर से समझौते का दबाव बनाया जा रहा था। समझौता न होने पर दोनों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता सर्वेश शर्मा और एडीसी प्रेरणा वर्मा ने कुल 12 गवाह पेश किए थे।
न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शफी पहलवान के चार बेटे शारिक, तारिक, राजू, राशिद और पौत्र ताबिश के अलावा काशिफ उर्फ चीता और शाकिब को दोषी माना। न्यायालय ने सातों दोषियों को सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इस मामले में एक आरोपी नदीम को न्यायालय ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। वहीं, आरोपी फाइक की मुकदमे के दौरान बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी।