UP : हाथरस जमीन घोटाला में CRO के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

JAMEEN-GHOTALA

वाराणसी, संवाददाता : हाथरस जमीन घोटाले में नोएडा पुलिस अब तक 16 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। तफ्तीश आज भी जारी है। इसी क्रम में वाराणसी के मुख्य राजस्व अधिकारी पर भी कार्रवाई की है।

नोएडा पुलिस ने 23.92 करोड़ के हाथरस जमीन घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार और वर्तमान वाराणसी के मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) अजीत परेश, ओएसडी वीरपाल सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट मेरठ में चार्जशीट दाखिल कर दी है।

इसमें दोनों अधिकारियों और इनके रिश्तेदारों की भूमिका की पुष्टि की गई है। पुलिस की विवेचना में वीरपाल सिंह के छह रिश्तेदारों व करीबियों पर भी जमीन खरीद-बिक्री के आरोप लगे हैं। इसके मुताबिक, उन्होंने अपने भांजे निर्दोष चौधरी, दामाद नीरज तोमर, साले संजीव, नौकर सत्येंद्र और समधी मदन पाल सिंह, समधी के बेटे अजीत सिंह के नाम से जमीन औने-पौने दाम पर खरीदवाई थी।

इस मामले में अब तक 16 आरोपियों के खिलाफ पुलिस आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इनमें पांच सरकारी अधिकारी हैं। अजीत परेश वर्तमान में वाराणसी में मुख्य राजस्व अधिकारी हैं। वीरपाल सिंह (वीपी सिंह) सेवानिवृत हो चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य लोगों के नाम भी जांच में सामने आए हैं। इनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है।

2019 में बीटा-टू थाने में यमुना विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता, एसीईओ सतीश कुमार, ओएसडी वीपी सिंह समेत 29 के खिलाफ धोखाधड़ी से लेकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तक के तहत मुकदमे दर्ज हुए थे।

यह है आरोप

आरोप है कि जब यमुना प्राधिकरण हाथरस की जमीन को विकसित करने के लिए खरीद रहा था, तब प्राधिकरण के अधिकारियों ने मिलीभगत कर अधिग्रहण से पहले अपने परिचितों और रिश्तेदारों के माध्यम से वहां की जमीन किसानों से खरीदी गई थी। इसमें तत्कालीन तहसीलदार अजीत परेश और ओएसडी वीरपाल सिंह की भूमिका थी।

14.5 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी : पुलिस की जांच में ज्ञात हुआ कि जिस वक्त यमुना प्राधिकरण हाथरस में जमीन का अधिग्रहण कर रहा था उस वक्त योजना के अनुसार 5 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता थी, लेकिन आरोपियों ने अधिक धन के लालच में पहले ही 14.5 हेक्टेयर जमीन किसानों से औने-पौने दाम में खरीद ली थी।

प्राधिकरण के अधिकारी व बिल्डर कंपनी में सांठगांठ
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि इस प्रकरण में प्राधिकरण के अधिकारी व बिल्डर कंपनी के लोग मिले हुए थे। इससे उत्तर प्रदेश शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया । प्रकरण की जांच धीरे-धीरे धीमी हो गई थी। बाद में प्रकरण की जांच एसीपी प्रथम प्रवीण सिंह को दी गई थी। एसीपी की विवेचना के बाद पुलिस टीम ने अजीत परेश व वीरपाल सिंह के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया है।

मथुरा के जमीन घोटाले में भी आया था नाम
हाथरस जमीन घोटाले से पहले इसी तरह का घोटाला मथुरा में भी हुआ था। वहां भी इसी तर्ज पर अधिकारियों के करीबी लोगों ने 57 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। इस मामले में भी हाथरस जमीन घोटाले के आरोपी शामिल रहे हैं। इस मामले की भी जांच की जा रही है। पुलिस की टीम इस तरह के अन्य मामलों में हुई अनियमितता की जांच कर रही है।

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