ढाका, एजेंसी : बांग्लादेश में गत 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार अपदस्थ कर दी गई थी और जिसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई थी। तब से 11 महीनों के दौरान देश में अल्पसंख्यक समुदायों खासतौर पर हिंदुओं को निशाना बनाने की घटनाएं बढ़ गई हैं।
हिंदुओं का बनाया निशाना
अल्पसंख्यकों के संगठन हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि देश में पिछले 330 दिनों में सांप्रदायिक हिंसा की करीब ढाई हजार घटनाएं हुईं। संगठन ने यहां नेशनल प्रेस क्लब में कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों ने 4अगस्त, 2024 से अगले 330 दिनों में सांप्रदायिक हिंसा की 2,442 घटनाओं का सामना किया।
इनमें से ज्यादातर हिंसक घटनाएं चार अगस्त से 20 अगस्त के बीच हुईं। परिषद ने बयान में बताया कि हिंसा की प्रकृति बेहद गंभीर थी, जिसमें हत्या, सामूहिक दुष्कर्म से लेकर मंदिरो , घरों और दुकानों को निशाना बनाने के साथ ही धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तारियां और संगठनों से अल्पसंख्यकों को बाहर करना शामिल है।
पीड़ितों में पुरुष, महिलाएं और अल्पसंख्यक समूहों के किशोर शामिल हैं। इन घटनाओं में लिप्त अपराधियों में से ज्यादातर को न्याय के कठघरे में नहीं लाया गया। हालांकि अंतरिम सरकार ने इन घटनाओं को मानने से इन्कार किया है और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया है।
हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय
हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के वरिष्ठ सदस्य नार्मल रोसारियो ने कहा कि अंतरिम सरकार की तरफ से चलाए जा रहे सुधार के प्रयासों से अल्पसंख्यक समुदायों को बाहर रखा गया है। जबकि एक सदस्य निमचंद्र भौमिक ने बोला कि वास्तव में सरकार अल्पसंख्यकों पर दमन की घटनाओं की अनदेखी करती है। हम न्याय की मांग करते हैं।
2022 की जनगणना के अनुसार , बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। कुल आबादी में 7.95 प्रतिशत हिंदू हैं। इसके बाद बौद्ध (0.61 प्रतिशत) और ईसाई (0.30 प्रतिशत) हैं