Mahoba : महोबा-खजुराहो के बीच दौड़ी मेमू ट्रेन

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महोबा,संवाददाता। वीर आल्हा-ऊदल की नगरी महोबा से विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो का सफर अब और भी आसान हो गया है। उत्तर-मध्य रेलवे झांसी मंडल की ओर से महोबा-खजुराहो रेलवे ट्रैक पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेन को अपग्रेड करते हुए उसमें मेमू कोच लगाकर संचालन शुरू कर दिया गया है। इन गाड़ियों के नंबर भी बदले गए हैं। इस आधुनिक कोच में डिस्प्ले और उद्घोषणा के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।

झांसी मंडल के ट्रैक पर कुछ पैंसेंजर ट्रेनों में आज भी आईसीएफ कोच का इस्तेमाल होता है। इन कोचों को दौड़ाने के लिए अलग से एक इंजन का उपयोग होता है। इस संरचना को बदलने के लिए अब मेमू कोच का इस्तेमाल शुरू किया गया है। इसकी खासियत यह है कि एक मेमू में आठ कार यान शामिल किए गए हैं। इसमें आगे और पीछे गार्ड कम मेमू कंट्रोलर भी होगा।

महोबा-खजुराहो मेमू ट्रेन का नया नंबर 64649

इससे ट्रेन की दूसरी दिशा में दौड़ाने के लिए समस्या नहीं होगी। यह सुविधा यात्रियों को मुहैया कराई जा रही है। वर्तमान ट्रेन नंबर 51821 महोबा-खजुराहो का नया नंबर 64649 किया गया है जबकि वर्तमान ट्रेन नंबर 51822 खजुराहो-महोबा का नया नंबर 64650 किया गया है।

महोबा से खजुराहो जाने वाली मेमू का महोबा स्टेशन से रवाना होने का समय शाम 7.05 बजे है। जो 8.25 बजे खजुराहो पहुंचती है जबकि खजुराहो-महोबा मेमू खजुराहो से शाम 4.40 बजे चलकर शाम 6.25 बजे महोबा स्टेशन आती है। उत्तर मध्य रेलवे झांसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि मेमू कोच अभी कानपुर, बांदा और आगरा रूट पर ही संचालित हो रहे थे। अब खजुराहो और महोबा रूट पर मेमू संचालित की गई है।

मेमू कोच के फायदे
महोबा। मेमू कोच एक विशेष प्रकार की ट्रेन होती है। इसमें प्रत्येक कोच में मोटर लगी होती है इसलिए इंजन की आवश्यकता नहीं होती है। मेमू कोचों की गति आईसीएफ कोचों की तुलना में थोड़ी अधिक होती है। आईसीएफ कोचों की तुलना में सुरक्षा विशेषताएं बराबर होती हैं। इनका उपयोग उपनगरीय और छोटी दूरी की यात्राओं के लिए किया जाता है।

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