मप्र से चीतों की आमद के लिए वन विभाग तैयार, बनाई खास योजना

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कोटा ,संवाददाता : चीते अभी एंक्लोजर में है उन्हें एंक्लोजर से रिलीज किया जाएगा तो पूरी संभावना है कि चीते कोटा जिले की सीमाओं में आ जाएं। ऐसे में वन विभाग द्वारा चीतों का प्री बेस सिस्टम तैयार किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण इलाकों जाकर भेड़-बकरियों का शिकार न कर पाए।

मध्यप्रदेश के चीतों के स्वागत के लिए कोटा वन विभाग तैयार है। वन विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश के गांधी सागर और कुनो नेशनल पार्क में रखे गए चीतों को जब एंक्लोजर में रिलीज किया जाएगा तो उनके कोटा और बारां जिले की सेंचुरी में आने की पूरी संभावनाएं हैं क्योंकि मप्र के चीता लैंडस्केप में 12 जिलों की सीमाएं लगती हैं। ऐसे में यहां चीतों के आने की संभावना को देखते हुए वन विभाग ने योजना तैयार की है, जिसके तहत 30 से 40 किलो वजन के जानवर यहां छोड़े जाएंगे ताकि चीतों को प्राकृतिक आहार मिल सके और वे नए क्षेत्र में आसानी से ढल सकें।

डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि चीते अभी एंक्लोजर में हैं लेकिन जब उन्हें एंक्लोजर से रिलीज किया जाएगा तो इसकी पूरी संभावना है कि वे विचरण करते हुए कोटा जिले की सीमाओं में आ जाएं। ऐसे में वन विभाग द्वारा चीतों का प्री बेस सिस्टम तैयार किया जा रहा है ताकि चीते ग्रामीण इलाकों में न जा पाएं और भेड़-बकरियों का शिकार न कर पाएं। इस योजना के लिए वन विभाग को 5 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित हुआ है, जिससे प्री बेस सिस्टम का विकास किया जाएगा।

चीते ग्रामीण इलाकों में न जा पाएं -डीएफओ

उन्होंने यह भी कहा कि चीतों के शेरगढ़ और भैंसरोगढ़ सेंचुरी में आने से इकोसिस्टम भी अच्छा हो जाएगा, साथ ही टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। चीतों की खासियत है कि यह दिन में दिखने वाला एनिमल है जबकि टाइगर, लैपर्ड अधिकतर रात के समय ही निकलते हैं। ऐसे में यहां पर दिन में टूरिस्ट को काफी ज्यादा साइटिंग मिल सकती है। इनके लिए 20 हैक्टेयर का एक एंक्लोजर बनाया जाएगा, जिसमें 40 फीमेल और मेल चीतल, चिंकारा और ब्लैक बक रखे जाएंगे। एंक्लोजर को लोहे के स्ट्रक्चर से तैयार किया जाएगा, जिससे इसके अंदर पैंथर या कोई बड़ा जानवर ना घुस पाए।

सामने यह भी आया है कि चीता बेहद ह्यूमन-फ्रेंडली होता है और अब तक इसके इंसानों पर हमला करने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। अगर किसी कारणवश चीता ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचता है और भेड़-बकरी जैसे पालतू जानवरों का शिकार करता है, तो वन विभाग दो दिनों के भीतर मुआवजा राशि दे देगा।

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