न्यूयॉर्क,एजेंसी : यरुशलम निवासी हाना जैगर ने ममदानी की उस शहर में सफलता के बाद समाचार एजेंसी को बताया बहुत बुरा। यहूदियों के लिए, इज़राइल के लिए, सबके लिए, यह बहुत बुरा है।
न्यूयॉर्क वैसे भी कोई साधारण शहर नहीं है, फिर भी ज़ोहरान ममदानी की जीत न्यूयॉर्क के मानकों के हिसाब से भी असाधारण है। महज 34 साल के भारतीय/दक्षिण एशियाई/युगांडाई मूल के मुस्लिम व्यक्ति ममदानी और उनके विचारों को दुनिया भर में प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। इन विचारों में से एक है उनका फ़िलिस्तीन समर्थक और ज़ायोनिज़्म विरोधी रुख़, यही वजह है कि उनकी जीत ने इज़राइल और उसके यहूदी नागरिकों के एक बड़े हिस्से में भी हलचल मचा दी है।
यरुशलम निवासी हाना जैगर ने ममदानी की उस शहर में सफलता के बाद समाचार एजेंसी एपी को बताया बहुत बुरा। यहूदियों के लिए, इज़राइल के लिए, सबके लिए, यह बहुत बुरा है। आप और क्या कह सकते हैं? इज़राइल के तेल अवीव के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी यहूदी आबादी है। ममदानी का अभियान मुख्यतः स्थानीय आर्थिक मुद्दों से प्रेरित था, जैसे मुफ़्त परिवहन, किफ़ायती बाल देखभाल और आवास का वादा। लेकिन इज़राइल में, जो 1948 में अपने गठन के बाद से दशकों से फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में संघर्ष में उलझा हुआ है, ममदानी का फ़िलिस्तीनी समर्थक मंच सुर्ख़ियों में है।
अमेरिका की मुख्यधारा की राजनीति लंबे समय से कट्टर रूप से इज़राइल समर्थक रही है, तब भी जब संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक दृष्टिकोण तेल अवीव की नीतियों और युद्धों की आलोचना करते रहे हैं। ममदानी का चुनाव अब तक के रुख़ में आए बदलाव का सबसे मज़बूत उदाहरण माना जा रहा है। एक तरह से, यह अमेरिकी जनता, ख़ासकर युवा डेमोक्रेटिक मतदाताओं के बीच इज़राइल के प्रति समर्थन में आई नरमी को दर्शाता है, जबकि रिपब्लिकन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ममदानी के ख़िलाफ़ लगातार बयानबाज़ी कर रहे हैं।
