नई दिल्ली ,एंटरटेनमेंट डेस्क : बहारें फिर भी आएंगी, शोले, चुपके-चुपके और चरस जैसी दर्जनों अविस्मरणीय फिल्मों से हिंदी सिनेमा को समृद्ध करने वाले दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र इस दुनिया को अलविदा कह गए। दिलकश मुस्कान और आकर्षक व्यक्तित्व के दम पर उन्होंने कई दशकों तक अपने फैंस के दिलों पर राज किया। वह एक ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट से कलर और अब डिजिटल युग में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बदलते देखा। साथ यह सुनिश्चित किया कि वह हर दौर में प्रासंगिक रहें
300 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
राजेश खन्ना के सुपरस्टारडम और अमिताभ बच्चन के उदय के बावजूद उनका स्टारडम कायम रहा। 65 साल के करियर में करीब 300 फिल्मों में काम करने वाले 89 वर्षीय धर्मेंद्र पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। सोमवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे से ही उनके निधन की सुगबुगाहट होने थी, लेकिन खबर की पुष्टि न होने को लेकर मीडिया में संशय बना था। उनके आवास के बाहर एंबुलेंस देखी गई। वहां से उनके निधन की खबरों ने जोर पकड़ा। फिर देओल परिवार को उस एंबुलेंस से धर्मेंद्र का शव श्मशान घाट ले जाते देखा गया। श्मशानगृह पर धर्मेंद्र की बेटी एशा देओल, पत्नी हेमा मालिनी के अलावा आमिर खान, अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, सलमान खान, सलीम खान, गोविंदा, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह समेत कई फिल्मी हस्तियां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंची।
वहीं इंटरनेट मीडिया पर सिनेमा और राजनीति से जुड़े लोगों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। परिवार की तरफ से उनके निधन पर कोई बयान जारी नहीं हुआ। धर्मेंद्र को मुखाग्नि उनके बड़े बेटे सनी देओल दी। हालांकि, लता मंगेशकर, दिलीप कुमार, मनोज कुमार और श्रीदेवी जैसे सितारों की तरह धर्मेंद्र को राजकीय सम्मान के साथ विदा नहीं करने को लेकर सवाल भी मथते रहे। बताते चलें, गत 11 नवंबर को अस्पताल में भर्ती धर्मेंद्र के निधन की खबरों पर उनकी पत्नी हेमा मालिनी, बेटी एशा देओल और पुत्र सनी देओल ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके अगले दिन उन्हें घर लाया गया, तब से उनका घर पर ही इलाज चल रहा था। आठ दिसंबर को उनका 90वां जन्मदिन मनाने की तैयारी भी उनका परिवार कर रहा था।
पिता चाहते थे, बेटा प्रोफेसर बनेधर्मेंद्र का जन्म आठ दिसंबर, 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में धर्म सिंह देओल के रूप में हुआ था। उनके पिता स्कूल टीचर थे। जब धर्मेंद्र सिर्फ दो साल के थे, तब उनके पिता ट्रांसफर के बाद साहनेवाल गांव आ गए थे। पिता चाहते थे कि उनका बेटा प्रोफेसर बने। हालांकि दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्मों के मुरीद धर्मेंद्र ने अभिनेता बनने का ख्वाब संजोया।
टैलेंट हंट प्रतियोगिता से फिल्मों में एंट्री
1958 में फिल्मफेयर पत्रिका द्वारा आयोजित टैलेंट हंट प्रतियोगिता में चयन के साथ धर्मेंद्र के अभिनय की राहें खुलीं। उन्होंने पहली फिल्म बिमल राय की बंदिनी साइन की, जिसमें उनके साथ अशोक कुमार और नूतन थे। लेकिन फिल्म बनने में देरी हुई। उन्होंने 1960 में अर्जुन हिगोरानी की फिल्म दिल भी तेरा, हम भी तेरे से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। आई मिलन की बेला और हकीकत, काजल जैसी कई फिल्मों के बाद 1966 में मीना कुमारी के साथ आई फिल्म फूल और पत्थर से उन्हें स्टारडम मिला। 1975 की फिल्म शोले में जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू की जोड़ी दोस्ती की मिसाल बनी। बाद के दशकों में उन्होंने चरित्र किरदार निभाने शुरू किए।
