लखनऊ, शैलेश पाल : यूपी के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। योगी सरकार द्वारा गठित नए आयोग के दूसरे अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल कार्यभार संभालने से तीन वर्ष का होगा।
प्रदेश सरकार ने पूर्व डीजीपी डॉ. प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का नया अध्यक्ष बनाया है। यह आयोग बेसिक से लेकर एडेड माध्यमिक, एडेड महाविद्यालयों, अल्पसंख्यक कॉलेजों व अटल आवासीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए गठित किया गया है। नए अध्यक्ष की तैनाती के साथ ही आयोग में लंबित शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया को गति मिलेगी।
उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव गिरिजेश त्यागी की ओर से बुधवार को इससे संबंधित आदेश जारी किया गया है। वहीं प्रशांत कुमार ने बातचीत में कहा कि उनकी प्राथमिकता आयोग में पारदर्शी तरीके व मेरिट से भर्तियों को पूरा कराना है। युवाओं को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए वह प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन भर्तियों के अधियाचन आयोग को मिल चुके हैं, उनकी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाएगी।
बता दें कि प्रदेश सरकार ने अलग-अलग स्तर पर चल रही एडेड कॉलेजों की शिक्षक भर्तियों के लिए नए आयोग का गठन किया था। इसके लिए पांच सितंबर 2024 को गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रो. कीर्ति पांडेय को पहला अध्यक्ष बनाया गया था। किंतु लगभग एक साल बाद ही 22 सितंबर 2025 को उन्होंने व्यक्गित कारणों से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं लंबी कवायद के बाद भी आयोग में भर्तियां नहीं शुरू हो पाई थीं। इसके लिए अभ्यर्थी लगातार धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से हैं एमएससी
प्रदेश में 31 जनवरी 2024 से 31 मई 2025 तक डीजीपी रहे डॉ. प्रशांत कुमार दिल्ली यूनिवर्सिटी से (अप्लाइड जियोलॉजी) एमएससी की डिग्री हासिल करने वाले प्रशांत कुमार ने गोल्ड मेडल भी हासिल किया था। उन्होंने डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए और नेशनल डिफेंस कॉलेज से डिफेंस और स्ट्रेटेजिक स्टडीज में एमफिल की शिक्षा भी ग्रहण की है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रशांत कुमार का चयन वर्ष 1990 में भारतीय पुलिस सेवा में हुआ था। उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआईएसएफ और आईटीबीपी में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
पुलिस में इनोवेशन के लिए उठाए थे कई कदम
पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने पुलिस में इनोवेशन के लिए कई बड़े कदम उठाए थे, इससे पुलिस की व्यावसायिक दक्षता बढ़ी। उन्होंने मेरठ में एडीजी जोन रहते कई अपराधियों का इनकाउंटर कराया तो डीजीपी बनने के बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, महाकुंभ के बेहतर आयोजन, जी-20 में पुलिस प्रबंधन और आतिथ्य से प्रदेश पुलिस की उपलब्धियों में इजाफा किया।
वहीं यूपी में एडीजी कानून-व्यवस्था और डीजीपी रहने के दौरान कई माफिया और संगठित गिरोहों पर प्रभावी कार्रवाई की। साथ ही, महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में आरोपियों को सजा दिलाने की रफ्तार तेज की। प्रशांत कुमार को राष्ट्रपति का वीरता पदक समेत कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
