बोकारो, संवाददाता : झारखंड के बोकारो जिले के दुगदा स्थित बीसीसीएल के कोल वाशरी प्लांट परिसर में स्थापित 20 मेगावाट क्षमता वाले सोलर पावर प्लांट का शुभारंभ हो गया है। केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने धनबाद स्थित कोल भवन से ऑनलाइन माध्यम के जरिए इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन किया।
करीब 138 करोड़ रुपए की लागत
कोल इंडिया द्वारा करीब 138 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित यह सोलर पावर प्लांट दुगदा कोल वाशरी परिसर में लगाया गया है। यह परियोजना देश में स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। प्लांट से उत्पादित बिजली का उपयोग कोयला उत्पादन से जुड़े कार्यों के साथ-साथ राज्य के पावर ग्रिड को सशक्त बनाने में भी किया जाएगा।
यह सोलर पावर प्लांट 31 मार्च 2025 से नियमित रूप से 20 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है और डीवीसी चंद्रपुरा के पावर ग्रिड को विद्युत आपूर्ति कर रहा है। इससे न केवल पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी।
उद्घाटन के दौरान केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि कोल इंडिया द्वारा कोयला क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में उठाया गया यह कदम ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखना भी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।
नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का किया जाएगा और विस्तार
कोल इंडिया के चेयरमैन बी. साईं राम ने बताया कि आने वाले समय में कोल इंडिया की विभिन्न इकाइयों में सोलर समेत अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का और विस्तार किया जाएगा। वहीं बीसीसीएल के सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा कि दुगदा सोलर पावर प्लांट न केवल ऊर्जा उत्पादन में सहायक होगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
देश के ऊर्जा क्षेत्र में हरित परिवर्तन को मिलेगी नई गति
इस परियोजना की शुरुआत से स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और देश के ऊर्जा क्षेत्र में हरित परिवर्तन को नई गति मिलेगी। इस अवसर पर अधिकारियों ने कहा कि कंपनी कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में लगातार काम कर रही है। कोल इंडिया की खाली पड़ी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर बिजली उत्पादन बढ़ाना और वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन को कम करना अत्यंत आवश्यक है।
