लखनऊ , शैलेश पाल : केजीएमयू में महिला रेजिडेंट के धर्मांतरण के प्रयास और यौन उत्पीड़न के मामले में बनी समिति पर नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन ने सवाल उठाए हैं। आरोप लगाया कि जांच के नाम पर खानापूरी की तैयारी है।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में महिला के धर्मांतरण के प्रयास मामले में बनी जांच समिति पर सवाल खड़े किए गए हैं। नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) ने जांच समिति में किसी महिला को शामिल न करने पर आपत्ति जताई है। एनएमओ के महानगर संयोजक डॉ. शिवम कृष्णन ने आरोप लगाया कि जांच के नाम पर खानापूरी की तैयारी है। आरोप है कि समिति को धर्मांतरण के साथ ही यौन उत्पीड़न मामले की जांच करनी है, लेकिन इसमें एक भी महिला नहीं है।
केजीएमयू प्रशासन ने इस मामले में बृहस्पतिवार को पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। इसमें रेस्पिरेटरी मेडिसिन, गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग के चिकित्सक और एक सर्जन शामिल हैं। इनके पास इलाज का तो अनुभव है, लेकिन इस तरह के संवेदनशील प्रकरण की जांच का कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में जांच भटक सकती है।
एनएमओ और मेडिकल छात्रों ने निकाला कैंडल मार्च
धर्मांतरण के प्रयास मामले में शनिवार को 1090 चौराहे के पास शाम को बड़ी संख्या में एनएमओ के पदाधिकारी व मेडिकल छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला। प्रदर्शन में शामिल डॉ. अभिषेक पांडेय के मुताबिक, केजीएमयू का दुनिया भर में नाम है। इस तरह की घटनाओं से संस्थान की साख को धक्का लगा है। इस घटना में शामिल लोगों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। डॉ. ताविषि मिश्रा के मुताबिक, पूरी घटना में केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही उजागर हो रही है।
एक महिला के लिए कमेटी गठित की गई और उसमें कोई महिला ही नहीं है। यह संवेदनहीनता है। यह सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि इंसानियत और न्याय की बात है। इसी मामले में नेशनल मेडिकल ऑर्गेनाइजेशन व आम नागरिक के बैनर तले विभिन्न अस्पताल के चिकित्सकों , मेडिकल छात्रों अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एसिड पीड़िताओं ने प्रदेश भर में कैंडल मार्च निकाला।
