नई दिल्ली,स्पोर्ट्स डेस्क : ‘शेरशाह’ ओटीटी पर सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली फिल्मों में से एक है। अमेजन प्राइम वीडियो पर इसे सबसे अधिक देखी जाने वाली फिल्मों की श्रेणी में रखा गया है। फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा की दमदार एक्टिंग भी देखने लायक थी। यह एक बायोपिक फिल्म थी, जिसके सारे किरदार असल लोगों पर आधारित थे। फिल्म में कई फौजी देखने को मिले, आइए जानते हैं कि वे असली किरदार वर्तमान समय में अब कहां पर हैं…
विक्रम बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा)
फिल्म में कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार सिद्धार्थ मल्होत्रा ने किया था। कैप्टन विक्रम बत्रा ने प्वाइंट 5140 पर भारत का झंडा फहराया था। कारगिल इलाके की सबसे कठिन चोटियों में से एक थी। मिशन के दौरान बत्रा का कहना था ‘ये दिल मांगे मोर!’ 7 जुलाई 1999 को बत्रा कारगिल जिले में एरिया लेज, प्वाइंट 4875 के आसपास पाकिस्तानी सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र भी मिला।
लेफ्टिनेंट कर्नल वाई.के. जोशी
कारगिल युद्ध के समय योगेश कुमार जोशी लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर थे, फिर वे लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हो गए । विगत ही में उन्हें विदेश मंत्रालय में समकालीन चीन अध्ययन का महानिदेशक बना दिया गया है उन्हें वीर चक्र, उत्तम युद्ध, सेना और अति विशिष्ट सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
कैप्टन संजीव जामवाल (शिव पंडित)
फिल्म में कैप्टन बत्रा के कैप्टन संजीव के साथ खट्टे-मीठे रिश्ते दिखाए गए थे। संजीव सिंह जामवाल अब कैप्टन से कर्नल बन चुके हैं। वे फिलहाल पंजाब में अमृतसर के पास एक आर्मी सर्विस कोर बटालियन की कमान संभाल रहे हैं। उन्हें कारगिल युद्ध के दौरान वीरता दिखाने के लिए वीर चक्र भी मिला।
कैप्टन राजीव कपूर (हिमांशु)
फिल्म में मेजर राजीव कपूर को विक्रम बत्रा के साथी के तौर पर दिखाया गया था। राजीव अब ब्रिगेडियर बन चुके हैं। एक आर्मी ऑफिसर के तौर पर वे अभी भी देश की सेवा कर रहे हैं।
नायब सूबेदार बंसीलाल (अनिल चरणजीत)
सूबेदार बंसीलाल भी कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। उन्हें सेना के तीसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
सूबेदार रघुनाथ सिंह (राज अर्जुन)
फिल्म में रघुनाथ सिंह सूबेदार के तौर पर दिखे, इसके बाद वे कैप्टन के पद से रिटायर हुए। उन्हें वीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था। कैप्टन विक्रम बत्रा को शहादत के बाद इन्होंने ही अपनी टुकड़ी की कमान संभाली थी।
लेफ्टिनेंट कर्नल सुब्रत मुखर्जी (अभिरॉय सिंह)
फिल्म में लेफ्टिनेंट कर्नल सुब्रत मुखर्जी को भी दिखाया गया था। उस दौरान वे कारगिल के उरी सेक्टर में कार्यरत थे। अब वे रिटायर होने के बाद कॉर्पोरेट फील्ड में चले गए हैं।
फिल्म वर्ष में 2021 में आई थी। शेरशाह की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें देश के एक महत्तवपूर्ण इतिहास की सबसे अहम घटनाओं में से एक को फिर से रीक्रिएट करने की कोशिश की गई है। इसमें एक उत्साह भी है और ‘हाई जोश’ भी दिखाई देता है।