नई दिल्ली, एनएआई :अल नीनो जैसी स्थितियों के बीच सरकार ने अगले महीने से शुरू होने वाले रबी सत्र में गेहूं की बोआई के कुल रकबे के 60 प्रतिशत हिस्से में जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों की खेती करने का लक्ष्य रखा है। कृषि मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद 2023-24 के रबी सत्र में 11.4 करोड़ टन की रिकार्ड गेहूं पैदावार का लक्ष्य रखा है।
एक साल पहले की समान अवधि में गेहूं का वास्तविक उत्पादन 11.27 करोड़ टन रहा था। रबी सत्र की मुख्य फसल गेहूं की बोआई अक्टूबर में शुरू हो जाती है और इसकी कटाई मार्च एवं अप्रैल में सुरु हो जाती है।
कृषि सचिव मनोज आहूजा ने रबी फसलों की बोआई की रणनीति तैयार करने के लिए आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, ‘जलवायु पारिस्थितिकी (क्लाइमेट इकोसिस्टम) में कुछ बदलाव हुए हैं जो कृषि को प्रभावित कर रहे हैं।
देश में 800 से अधिक जलवायु प्रतिरोधी किस्में मौजूद
ऐसे में हमारी रणनीति जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के इस्तेमाल की है।’ सरकार ने 2021 में जल्द गर्मी आने से गेहूं की पैदावार पर पड़े असर को देखते हुए 2022 में किसानों को 47 प्रतिशत गेहूं रकबे में गर्मी को झेल पाने वाली किस्मों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। देश में गेहूं की पैदावार का कुल रकबा तीन करोड़ हेक्टेयर है।
कृषि सचिव ने कार्यक्रम में कहा कि देश में 800 से अधिक जलवायु-प्रतिरोधी किस्में उपलब्ध हैं। इन बीजों को ‘सीड रोलिंग’ योजना के तहत बीज शृंखला में डालने की जरूरत है। उन्होंने राज्यों से कहा कि वे किसानों को गर्मी-प्रतिरोधी किस्में उगाने के लिए प्रेरित करें। इन आशंकाओं से सहमति जताते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि संस्था ने 2,200 से ज्यादा फसल किस्मों का विकास किया है, जिनमें से 800 जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हैं।
