अयोध्या, संवाददाता : अक्षत पूजन अनुष्ठान के बाद पूजित अक्षत पूरे भारत में एक सिस्टम के तहत बांटा जाएगा। भारत वर्ष के 50 केंद्रों से दो-दो, चार-चार कार्यकर्ता अयोध्या बुलाए जा रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में कई अहम बिंदुओं पर निर्णय हुआ है। इसी क्रम में तय हुआ है कि विजयदशमी के बाद रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से पहले अक्षत पूजन का अनुष्ठान होगा। पूजन के बाद यह अक्षत देश के पांच लाख गांवों में घर-घर भेजा जाएगा। साथ ही मंदिर के उद्घाटन के बाद रामलला के दर्शनार्थियों को प्राण प्रतिष्ठित रामलला का विग्रह प्रसाद स्वरूप भेंट किया जाएगा।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के पहले भगवान के सम्मुख अक्षत पूजन का कार्यक्रम होगा। इस अनुष्ठान के बाद पूजित अक्षत पूरे भारत में एक सिस्टम के तहत बांटा जाएगा। भारत वर्ष के 50 केंद्रों से दो-दो, चार-चार कार्यकर्ता अयोध्या बुलाए जा रहे हैं। ये कार्यकर्ता भगवान के सम्मुख पूजित अक्षत अपने केंद्रों पर ले जाकर प्लानिंग करेंगे।
टेलीविजन पर प्राणप्रतिष्ठा समारोह को लाइव दिखाने की अपील
सभी रामभक्तों से निवेदन किया जाएगा कि अयोध्या जैसा आनंदोत्सव प्राणप्रतिष्ठा के दिन सभी अपने-अपने घरों व मठ-मंदिरों में मनाएं। भजन-कीर्तन, आरती करने को कहा जाएगा। जनता को एकत्र कर टेलीविजन पर रामलला के प्राणप्रतिष्ठा समारोह को लाइव दिखाने की अपील की जाएगी। हर नागरिक अपने घर के दरवाजे पर कम से कम सरसों के तेल के पांच दीपक जलाएं। अक्षत पूजन का अनुष्ठान विजयदशमी के बाद ही संभव हो सकेगा।
चंपत राय ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो विग्रह मंदिर में स्थापित होगा, उसका फोटो छपवाया जाएगा। इसके बाद रामलला का दर्शन करने आने वाले हर एक भक्त को रामलला के विग्रह की यह तस्वीर प्रसाद स्वरूप भेंट की जाएगी। प्रयास है कि एक से दो साल के भीतर रामलला के विग्रह की यह तस्वीर 10 करोड़ परिवारों तक पहुंच जाए।
प्राण प्रतिष्ठा के लिए धार्मिक समिति गठित
प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के सफल संयोजन के लिए एक धार्मिक समिति गठित की गई है। समिति में ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र शामिल हैं। विशेष आमंत्रित सदस्यों में महंत कमलनयन दास, डॉ़ रामानंद दास व महंत मिथिलेश नंदिनी शरण को शामिल किया गया है। रामानंदीय परंपरा के जानकार हैं। यह समिति प्राणप्रतिष्ठा अनुष्ठान को लेकर अपनी राय देगी। रामलला की पूजन पद्धति, उनके श्रृंगार, वस्त्र, किन मंत्रों से पूजा हो यह सब यह समिति तय करेगी।