नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : आश्विन शुक्ल दशमी को श्रवण नक्षत्र में विजयदशमी पर्व है। विजय दशमी का त्योहार बारिश की समाप्ति तथा शरद ऋतु के सुरवात का सूचक है। दुर्गा-विसर्जन, विजय-प्रयाग, अपराजिता पूजन, शमी पूजन तथा नवरात्र पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश विसर्जन के साथ ही रावण दहन की प्रक्रिया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , इसी दिन श्रीराम ने लंका पर रावण का वध किया था । इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने कहा कि इस दिन शाम के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन बेहद ही शुभ माना जाता है।
दशहरे के दिन श्रीराम, मां दुर्गा, श्री गणेश और हनुमान जी की अराधना कर परिवार के लिए मंगल की कामना की जाती है। मान्यता के अनुसार कि दशहरे के दिन सुंदरकांड, रामायण पाठ ,श्रीराम रक्षा स्त्रोत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पंचक में शुभ कार्य रहते हैं वर्जित
पंचक वैदिक ज्योतिष से लिया गया एक शब्द है। जो पांच दिनों की एक विशिष्ट अवधि को दर्शाता है। जब चंद्रमा नक्षत्र के अंतिम दो तिमाहियों में होता है। इसे धनिष्ठा के रूप में जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस अवधि को अक्सर कुछ गतिविधियों के लिए अशुभ माना जाता है। आम तौर पर लोगों को पंचक के दौरान नए व्यवसाय शुरू करने या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचने की
सलाह दी जाती है।
एकादशी तिथि पंचक में रावण दहन
धर्म ग्रंथों में कहा जाता है कि श्रीराम ने रावण की नाभि में बाण तो दशमी में ही मारा था पर रावण ने प्राण एकादशी में ही त्यागे। पूर्व के कुछ जिलों में तो आज भी एकादशी में रावण पुतला दहन होता है। वहीं इस बार दशमी तिथि दोपहर 03:15 मिनट तक होगी। इसके बाद पापांकुशा एकादशी आ जाएगी। वहीं रावण दहन रात्रि में 08:30 में होगा।