मैनपुरी,संवाददाता : त्रेता युग के श्रवण कुमार की कहानी तो सुनी ही होगी, लेकिन हम यहां कहानी बता रहे हैं कलयुग के आठ श्रवण कुमार की। बात सुनने में अजीब जरूर लगेगी, लेकिन यह सच है। मैनपुरी जिले के कस्बा करहल इकहरा गांव के रहने वाले आठ बेटे माता-पिता को कंधे पर बैठाकर कासगंज के लहरा गंगा घाट पर पहुंचे।
माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर पहुंचे लहरा गंगा घाट
रामायण में अयोध्या कांड में एक श्रवण कुमार की कथा का वर्णन मिलता है, लेकिन कलयुग में सावन के महीने में एक नहीं आठ श्रवण कुमार साक्षत देखने को मिले। आठ बेटे मैनपरी से एक साथ अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर गंगा स्नान कराने के लिए लहरा गंगा घाट पहुंचे। जहां आज के समय में बेटे अपने मां-बाप को बोझ समझकर वृद्धा आश्रम डाल आते हैं, वहीं इन श्रवण कुमार जैसे बेटों का ये सेवा भाव देखकर लोग बिना तारीफ किए खुद को नहीं रोक पाते।
इस समय सावन का महीना चल रहा है। बड़ी संख्या में शिव भक्त भोले नाथ काे प्रसन्न करने के लिए कांवड़ में गंगा जल भरकर ले जा रहे है। इन शिव भक्तों के बीच नौ पुत्रों की मातृ पितृ भक्ति लोगों के बीच चर्चा में रही। इकहरा करहल मैनपुरी निवासी राधेश्याम (95) रामपूर्ती देवी (90) की सावन माह में गंगा में स्नान करने की इच्छा जाहिर किया । यह इच्छा उन्होंने अपने सभी पुत्रों के सामने रखी। उनके पुत्र महेंद्र, गोविंद, गोपाल, आकाश, विकास, पंकज,अर्जुन और इशांत के समक्ष रखा।
170 किमी का सफर करेंगे तय
आठों पुत्रों ने अपने माता-पिता की इच्छा को पूरा करने का निर्णय लिया। इसके बाद वे अपने माता पिता को कांवड़ में बिठाकर लहरा गंगा घाट के लिए निकल पडे़। जब ये पुत्र कावंड़ में बिठाकर अपने माता पिता को लेकर जनपद से निकल रहे थे और लोगों की निगाह उन पर पड़ती तो वे सराहना किए बिना नहीं रहते। पुत्रों ने बताया कि उनके गांव से लहरा तक का रास्ता 170 किमी का है। दो दिन पहले वे निकले थे। माता-पिता को स्नान कराने एवं मंदिरों के दर्शन कराने के बाद वापस लौटेंगे।