नई दिल्ली,एनएआई : भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा (Moon) के कई रहस्यों से पर्दा उठाने के साथ ही वहां आक्सीजन भी खोजी। इस मिशन की सफलता के कुछ ही दिनों बाद सूर्य की कुंडली खंगालने आदित्य एल1 (Aditya L1) को भेजा गया है। भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 15 लाख किलोमीटर के सफर पर आगे बढ़ रहा है। चंद्रमा और सूर्य के बाद अब समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों को जानने की बारी है। इसके लिए भारत समुद्रयान मिशन की तैयारी कर रहा है।
चंद्रयान 3 के सफल लॉन्चिंग और चंद्रमा के करीब तक पहुंचने के बाद अब भारत समुद्र में अपने अभियान की तैयारियां कर रहा है। अब सबमर्सिबल की मदद से समुद्र के अंदर 6 किलो मीटर की गहराई में लोगों को ले जाने का प्रोजेक्ट समुद्रयान की तैयारियां की जा रही हैं। इस बात का खुलासा पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में अपने लिखित उत्तर में बताया है।
इस मिशन का नाम ‘समुद्रयान मिशन’ रखा गया है। जानकारी के मुताबिक जिस सबमर्सिबल में बैठकर लोगों को समुद्र के अंदर गहराई में ले जाया जाएगा, उस सबमर्सिबल की जांच का काम 2024 में पूर्ण कर लिया जाएगा ।
विकसित किया जा रहा है सबमर्सिबल
भारत वर्ष 2047 यानी आजादी के ठीक 100 सालों के अंदर भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ही भारत समुद्र की गहराई में उतरने की मुहिम में जूट गया है। भारत सरकार एक सबमर्सिबल का निर्माण कर रही है, जिसका नाम ‘मत्स्य 6000’ दिया गया है। इस सबमर्सिबल को समुद्र के अंदर 6 किलो मीटर की गहराई में जाकर खोज करने के उद्देश्य से तैयार किया जा रहा है।
सबमर्सिबल 3 लोगों को समु्द्र में 6000 मीटर की गहराई में ले जाने में सक्षम होगा। मंत्री ने बताया कि इससे पहले भारत 7000 मीटर की गहराई में मानवरहित सबमर्सिबल भेजने के मिशन को अंजाम दे चुका है। अब मानवयुक्त मिशन के पूरा करने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है।
अत्याधुनिक पनडुब्बी होगी ‘मत्स्य 6000’ इस पनडुब्बी का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। पहले 500 मीटर तक की गहराई में जाने में सक्षम पनडुब्बी को तैयार किया गया। इसके बाद भारत ने मानवरहित रोबोटिक पनडुब्बी को समुद्र के नीचे 6000-7000 मीटर की गहराई में उतारा। अब मानवसहित सबमर्सिबल को समुद्र की गहराई नापने का काम सौंपने की तैयारी चल रही है।
समुद्र की गहराई में छिपे खनीजों को देख सकेंगे
इस मिशन की सफलता से ना सिर्फ सामुद्रिक संपत्ति के निरीक्षण का मौका मिलेगा बल्कि समुद्र पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलने की सभावना है। समुद्र के नीचे 6 किमी की गहराई तक मानव युक्त सबमर्सिबल जाने का मतलब होता है, समुद्र से निकलने वाले खनीज तत्व जैसे कोबाल्ट, दुर्लभ मृदा तत्व, मैंगनीज आदि को मानव अपनी आंखों से देखने में सक्षम हो जाएगा।