वाराणसी, संवाददाता : सनातन का अर्थ निरंतर चलने वाला प्रवाह है, यह कभी मिटता नहीं। भारतीय नारी के लिए आजादी का अभिप्राय छोटे वस्त्र पहनना नहीं, वरन आत्मनिर्भर बनना है। यह कहना है महिला पहलवान बबिता फोगाट का। वह शनिवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संस्कृति संसद के दूसरे दिन प्रथम सत्र को संबोधित कर रहीं थीं।
आयोजन में श्रीराम मुक्ति आंदोलन की प्रेरक साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि पश्चिम की स्त्रियों में संस्कार नहीं होने से उनके आचरण का आधार स्वच्छंदता है। इसके विपरीत भारतीय स्त्री, संस्कार की धुरी और राष्ट्र की रक्षिका है। पश्चिम ने भारतीय नारी के मन पर प्रहार कर संस्कार मिटाने और भारत को तोड़ने का प्रयास किया। सनातन हिंदू धर्म की मातृ केंद्रित व्यवस्था, विभिन्न मजहबों में नारी एवं भारतीय विदुषी साधिकाएं विषयक सत्र में साध्वी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नर से नारायण बनने की प्रक्रिया में माता की भूमिका मुख्य है।
पश्चिम ने षड्यंत्र पूर्वक स्वच्छंदता का प्रवेश भारतीय नारियों के मन में कराकर उन्हें परंपराविमुख बनाने का प्रयास किया। पश्चिमी षड्यंत्रकारी भारतीय नारी के मन से संस्कार मिटाकर भारत को तोड़ने का प्रयास निरंतर कर रहे हैं। भारतीय नारियों के द्वारा दिए संस्कार के कारण ही ऐसी संतानें पैदा हुईं कि जिनके बलिदान से अयोध्या में श्रीराममंदिर का निर्माण हो सका।
लेखिका मधु किश्वर ने कहा कि मुस्लिम आक्रांताओं ने भारतीय स्त्रियों को हवस का शिकार बनाया और ईसाई मिशनरियों ने उसे परिवार के विरुद्ध स्वच्छंदता के लिए उकसाया। ईसाई समाज में अभी भी स्त्रियों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है और इस्लाम में अभी भी समानता के लिए महिलाएं संघर्ष कर रही हैं। इस दौरान मंच पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राजराजेश्वराचार्य, संत बालकदास, विष्णुशंकर जैन, लक्ष्मण राव आचार्य, रविंद्रपुरी महाराज, राधे-राधे बाबा, महामंडलेश्वर चिदंबरानंद सरस्वती, गजेंद्र सिंह चौहान मौजूद रहे।