आकाशतीर के अचूक निशाने की दुनिया हुई कायल, कई सुविधाओं से है लैस

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नागपुर, डिजिटल डेस्क : ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया को दिखाया कि भारत अपनी रक्षा करने में खुद सक्षम है। वह दुश्मन की किसी भी हिमाकत का अपने तरीके से माकूल जवाब दे सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की आकाशतीर प्रणाली ने जिस अचूक तरीके से दुश्मन के विमानों, ड्रोनों और मिसाइलों का पता लगाया, ट्रैक करके उन्हें मार गिराया उसकी पूरी दुनिया मुरीद होने लगी है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख समीर वी. कामत को विश्वास है कि स्वदेश में विकसित ‘आकाशतीर’ वायु रक्षा प्रणाली की सफलता से विश्व स्तर पर इसे लेकर रुचि और बढ़ेगी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह प्रणाली नई युद्ध क्षमताओं की अदृश्य शक्ति के रूप में उभरकर सामने आई है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत

गौरतलब है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह-सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। डीआरडीओ के प्रमुख समीर वी कामत ने गुरुवार को बोले , निश्चित रूप से हमारी वायु रक्षा प्रणाली ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। रक्षा क्षेत्र में भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने के संबंध में कामत बोले कि इस दिशा में पर्याप्त प्रगति हुई है, लेकिन पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने के लिए और कार्य करना होगा।

उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएगा। कामत ने कहा कि भविष्य में युद्धों के लिए पारंपरिक हथियारों के साथ ही ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए भी तैयार रहना होगा। भविष्य के संघर्षों में रोबोट सैनिकों की भूमिका निभाने की संभावना को लेकर कामत ने कहा कि निकट भविष्य में ऐसा नहीं होने वाला है।

कई सुविधाओं से लैस है स्वदेशी ‘आकाशतीर’

‘आकाशतीर’ रडार, सेंसर और संचार प्रणालियों से लैस है। यह लक्ष्य की पहचान कर सटीकता के साथ तेजी से हमला करने में सक्षम है। यह प्रणाली दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें मार गिराने में सक्षम है। इसके जरिये सेना संभावित हवाई खतरों से महत्वपूर्ण संपत्तियों, सैनिकों और बुनियादी ढांचे की बेहतर रक्षा कर सकती है।

आकाशतीर का उल्लेखनीय पहलू उसकी गतिशीलता है। यह सुनिश्चित करने के लिए इसके नियंत्रण केंद्र वाहन-आधारित और मोबाइल बनाए गए हैं ताकि चुनौतीपूर्ण संचार वातावरण में भी इसकी संचालन क्षमताएं प्रभावित न हों और जरूरत के मुताबिक एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जाये ।

स्वदेशी 5.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान की तैयारी
डीआरडीओ प्रमुख बोले कि स्वदेशी 5.5 पीढ़ी का स्टेल्थ लडाकू विमान – एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) विकसित करने का प्रोजेक्ट पिछले वर्ष शुरू हुआ था। उम्मीद है कि यह 2034 तक पूरा हो जाएगा। इसे 2035 तक सेना में शामिल किया जा सकता है।

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