अखिलेश दुबे के खिलाफ SIT ने ढाई माह में नहीं की कोई एफआईआर

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कानपुर ,संवाददाता : अधिवक्ता अखिलेश दुबे के खिलाफ 52 शिकायतों की जांच कर रही एसआईटी दो महीने से कोई एफआईआर दर्ज नहीं करा पाई है। तीन सीओ/एसीपी स्तर के अधिकारियों पर जमीन खरीद-फरोख्त में शामिल होने का आरोप है, लेकिन वे बयान देने नहीं आ रहे हैं, जिससे जांच हांफती दिख रही है।

कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके साथियों के खिलाफ आई 52 शिकायतों की जांच अब हांफने लगी हैं। जांच कर रही एसआईटी दो महीने से कोई एफआईआर नहीं करा पाई है। इस मसले पर कमिश्नरी के अधिकारी एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे हैं। जांच किस स्तर पर पहुंची, इस सवाल पर सबने चुप्पी साध रखी है। मामले में फंसे सीओ और एसीपी स्तर के तीन अधिकारी एसआईटी के पास बयान देने नहीं आ रहे हैं। इसका कारण भी पुलिस नहीं बता पा रही है।

इनमें हरदोई के क्षेत्राधिकारी ऋषिकांत शुक्ला, लखनऊ के एसीपी विकास पांडेय और मैनपुरी के सीओ संतोष सिंह नहीं आए। इन अधिकारियों पर परिजनों के नाम पर अखिलेश दुबे के साथ कंपनी बनाकर जमीन को खरीदने और बेचने के आरोप लगे थे। नए पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने छह अक्टूबर को चार्ज संभालते ही अखिलेश दुबे प्रकरण की जानकारी एसआईटी से ले थी लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही जाता दिखाई दे रहा है। इस मसले पर ले-देकर एक ही जवाब सामने आता है कि एसआईटी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

12 सितंबर के बाद से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई

शिकायतकर्ताओं से साक्ष्य मांगे गए हैं। गवाहों ने पल्ला झाड़ लिया है। नोटिसें भेजी जा रही है। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने मार्च 2025 में एसआईटी का गठन किया था। इसके बाद आनन फानन 52 शिकायतें पुलिस के पास पहुंच गईं। फिर अगस्त में अखिल कुमार ने नई एसआईटी का गठन किया। डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता को इसका प्रभारी बनाया गया और आठ सदस्यीय टीम जांच में जुट गई। नतीजा फिर भी अब तक नहीं निकला। हालत यह है कि 12 सितंबर के बाद से कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

किदवईनगर, कोतवाली, ग्वालटोली में एफआईआर हुईं
हालांकि पांच एफआईआर में 31 लोग नामजद हैं, जबकि गिरफ्तार सिर्फ पांच ही हुए हैं। अखिलेश दुबे के खिलाफ पहला मामला भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक रवि सतीजा ने छह अगस्त को बर्रा थाने में दर्ज कराया था। इसमें अखिलेश दुबे, लवी मिश्रा समेत अन्य के खिलाफ दुष्कर्म के फर्जी मामले में एफआईआर कराने और उसका समाप्त करने के बदले रंगदारी मांगने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसके बाद अखिलेश दुबे और उसके साथियों पर किदवईनगर, कोतवाली, ग्वालटोली में एफआईआर हुईं।

15 साल पुराने मामले की जांच फिर से खोली गई

यह रिपोर्ट एसआईटी की जांच के बाद हुई थी। इन मामलों में अखिलेश दुबे के साथ कुछ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों, नेताओं और रसूखदारों का नाम सामने आए। उन पर कंपनी बनाकर जमीन की खरीद फरोख्त करने के आरोप लगे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक कार्रवाइयों और शिकायतों को लखनऊ के कई अधिकारियों ने संज्ञान में लिया। कमिश्नरी के अधिकारियों से सवाल जवाब भी किए। सितंबर की शुरुआत में अखिल कुमार के डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के एमडी बनने की बात सामने आई। इसके बाद कार्रवाई की रफ्तार पर ब्रेक लग गया। केवल साकेतनगर की महिला कारोबारी के करीब 15 साल पुराने मामले की जांच फिर से खोली गई है। इसमें एफआर लग गई थी

ऑपरेशन महाकाल भी ठंडे बस्ते में

भूमाफिया और कब्जेदारों के खिलाफ चलाया गया ऑपरेशन महाकाल भी ठंडे बस्ते में है। इसमें लगभग 400 शिकायतें आई थीं, जिनकी जांच संबंधित डीसीपी, एडीसीपी कर रहे थे। अब उसमें भी कोई नई एफआईआर नहीं लिखी गई है। सितंबर तक गजेंद्र सिंह नेगी, लाली शुक्ला समेत कई लोगों पर एफआईआर हुई थी। अक्तूबर से नई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।

केडीए ने भी साध रखी चुप्पी
केडीए की तरफ से अवैध निर्माण के मामले में सील की गई किशोरी वाटिका और आवास के मामले में अखिलेश दुबे आदि को उच्च न्यायालय से एक महीने पहले स्टे मिला था। न्यायालय ने कमिश्नर को इस मामले की सुनवाई करने के आदेश दिए थे। सुनवाई की अवधि भी तय की थी, तब तक के लिए स्टे दिया। अन्य मामलों में कार्रवाई के संबंध में केडीए चुप्पी साधे है।

दो में मिली जमानत, दो में खारिज हुई
अखिलेश दुबे के खिलाफ अब तक कुल पांच एफआईआर दर्ज हुई हैं। इनमें से रवि सतीजा और सुरेश पाल के मुकदमों में अखिलेश की जमानत अर्जियां खारिज हो चुकी हैं जबकि शैलेंद्र कुमार और संदीप शुक्ला के मुकदमों में अखिलेश को जमानत मिल गई है।

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