नई दिल्ली,एनएआई : इस ऐतिहासिक मस्जिद का नाम 16वें फातिमिद खलीफा अल-हकीम अम्र अल्लाह (985-1021) के नाम पर रखा गया है। मस्जिद का निर्माण मूल रूप से अल-हकीम-अम्र अल्लाह के पिता खलीफा अल-अजीज बिल्लाह ने 10वीं शताब्दी के अंतिम में कराया था।
अल-अनवर के नाम से भी प्रसिद्धि है मस्जिद
बाद में वर्ष 1013 में अल-हकीम ने इसके निर्माण कार्य को पूरा किया था। इस मस्जिद को अल-अनवर के नाम से भी जाना जाता है। यह काइरो शहर की दूसरी सबसे बड़ी और चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है। यह मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। इस आयताकार मस्जिद में चार बड़े हाल, 11 द्वार हैं। यह मस्जिद काइरो शहर में दाऊदी बोहरा समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक जगह है।
इसी वर्ष मस्जिद को खोला गया
इस्लामी स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2017 से पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय द्वारा इस मस्जिद का नवीनीकरण किया जा रहा था। इसमें दाऊदी बोहरा समुदाय ने आर्थिक सहयोग किया था। इस मस्जिद को नवीनीकरण के बाद इस साल 27 फरवरी को फिर से खोल दिया गया था।
दाऊदी बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं। हालांकि ये समुदाय शिया मुस्लिम संप्रदाय का हिस्सा है। वह पूर्ण रूप से इस्लामिक कानून को मानते हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय की विरासत फातिमी इमामों से जुड़ी है जिन्हें पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है।
भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे पीएम मोदी
पीएम मोदी हेलियोपोलिस स्मारक भी जाएंगे जहां वह प्रथम विश्व युद्ध में बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। पीएम मोदी मिस्त्र के राष्ट्रपति अल-सीसी से मुलाकात से पहले वहां के मंत्रियों के एक समूह के इंडिया यूनिट के साथ भी वार्ता करेंगे।