शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में बब्बर शेर के बाड़े में एक पाथवे बनाया जाएगा। इससे बारिश के दिनों में भी शेर अपने बाड़े से बाहर निकलेंगे और दर्शक उन्हें नजदीक से देख सकेंगे।
चिड़ियाघर में कई बार ऐसा होता है कि दर्शक शेरों को देखने के लिए बाड़े के सामने पहुंच जाते हैं, लेकिन वह बाहर नहीं निकलते हैं। इसलिए लोग निराश होकर वापस लौट जाते हैं। दरअसल, बरसात में मिट्टी गीली होने की वजह से शेर उस पर चलना पसंद नहीं करते।
इसे देखते हुए चिड़ियाघर प्रबंधन ने बाड़े में सामने की तरफ 120 मीटर का पाथवे बनाने की योजना बनाई है। यह एक इंटरलॉकिंग पाथवे होगा, जिस पर बब्बर शेर आसानी से चल सकेंगे।
गीली मिट्टी और कीचड़ में नहीं जाते हैं – बब्बर शेर
चिड़ियाघर के मुख्य वन्यजीव चिकित्सक डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि बब्बर शेर गुजरात के जंगलों में रहते हैं। वहां पर गर्मी पड़ती है, बारिश भी यहां की तुलना में बहुत कम होती है। बब्बर शेर को चलने के लिए सूखी जमीन पसंद है। लेकिन, तराई क्षेत्र होने के चलते यहां बारिश के समय कीचड़ हो जाती है और शेर के पंजों में गीली मिटटी फंस जाती है, जिस के कारण से शेर बाड़े से बाहर नहीं निकलते।
इसके कारण दर्शक तो मायूस होते ही हैं साथ ही शेरों के स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं है क्योंकि चलने से वे स्वस्थ रहेंगे।
चिड़ियाघर में हैं तीन शेर
चिड़ियाघर में वर्तमान समय तीन बब्बर शेर हैं। पटौदी शेर यहां शुरुआत से ही है। मरियम की मृत्यु के बाद इटावा से भरत और गौरी को लाया गया था। उस समय यह गर्मी से परेशान हो रहे थे तो इनके बाड़े में एसी की व्यवस्था लगाई गई।
निदेशक चिड़ियाघर विकास यादव ने बताया कि मिट्टी गीली होने और कीचड़ की वजह से कई बार शेर बाड़े से नहीं निकलते, ऐसे में दर्शक उन्हें बिना देखे ही वापस लौट जाते हैं। इसे देखते हुए शेर में बाड़े में पाथवे बनाने की योजना है। अगले महीने तक यह कार्य पूरा भी हो जाएगा।