रेवाड़ी, संवादाता : Siddharth Yadav : फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की पैतृक गांव माजरा भाखली में अंत्येष्टि की गई। इस दौरान मंगेतर ने कहा-एक बार चेहरा दिखा दो। बिलखती मां ने कहा कि बेटे पर गर्व है।
गुजरात के जामनगर में दो अप्रैल को भारतीय वायुसेना का जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से शहीद हुए फ्लाइंग लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की अंत्येष्टि शुक्रवार को पैतृक गांव भालखी माजरा में की गई। इससे पहले गांव के लोगों और प्रतिष्ठित लोगों ने सिद्धार्थ यादव के अंतिम दर्शन कर नम आंखों से उनको विदाई दी।
अंतिम संस्कार से पहले सिद्धार्थ यादव की मंगेतर सानिया ने पार्थिव शरीर के दर्शन बार-बार यही कह रहीं थी कि एक बार मुझे उनका (सिद्धार्थ) चेहरा दिखा दो। सानिया ने कहा कि सिद्धार्थ की शहादत पर उन्हें गर्व है। मंगेतर को बिलखते देख सबकी आंखें नम हो गई।
‘बेबी तू आया नहीं मुझे लेने… तूने कहा था तू आएगा’
सिद्धार्थ यादव की अंतिम विदाई में मंगेतर सानिया पार्थिव शरीर को देखकर रोते हुए कहती हैं कि बेबी तू आया नहीं मुझे लेने, तूने कहा था तू आएगा। यह लाइन वहां मौजूद लोगों का कलेजा चीर रही थी, वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू नहीं रुक पाए। दरअसल, 23 मार्च को सानिया और सिद्धार्थ यादव की सगाई हुई थी। दो नवंबर की दोनों की शादी होनी थी, लेकिन उससे पहले ही गुजरात में जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में सिद्धार्थ यादव बलिदान हो गए। उनका पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा, पूरा गांव उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ आया।
सिद्धार्थ की मां रोते-रोते बेहोश
इससे पहले, शुक्रवार की सुबह सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर शहर स्थित सेक्टर 18 में पहुंचा था। यहां से पार्थिव शरीर को गांव भालखी माजरा ले जाया गया। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। सभी की आखें नम थी। बेटे का पार्थिव शरीर देखते हुए सिद्धार्थ की मां रोते रोते बेहोश हो गई। इस दौरान लेफ्टिनेंट की टोपी मां को पहनाई गई। एयरफोर्स जवानों ने मां को सिद्धार्थ का फोटो दिया।
सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव ने कहा कि उनका सपना था कि बेटा चीफ ऑफ एबर स्टॉफ बनकर ही घर आए। हर एयरफोर्स अधिकारी के पिता का यही सपना होता है, उनका भी यही सपना था। सिद्धार्थ घर से गया तो शादी के बारे में ही बात हुई थी। दो नवंबर की शादी की तारीख तय हुई थी। इसको लेकर तैयारी चल रही थी। बताया कि मेरी चार पीढ़ी सेना से रही है। सिद्धार्थ बहादुर बच्चा था, हमेशा खुद को आगे रखने की कोशिश करता था।