Gorakhpur : बारिश जाते ही विकास कार्यों को मिलने लगी रफ्तार

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गोरखपुर, संवाददाता : सेतु निगम परियोजना प्रबंधक एके सिंह ने कहा कि बारिश के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे थे। मौसम अनुकूल होने के बाद अब काम की रफ्तार बढ़ी है। जितने भी फ्लाईओवर और ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं, उनको समय से पूर्ण कराने का लक्ष्य निर्धारित गया है।

बारिश खत्म होने के बाद गोरखपुर शहर में चल रही विकास योजनाओं को रफ्तार मिलने लगी है। बीते दो महीने पानी बरसने की वजह से काम में तेजी नहीं आ पा रही थी। अब मौसम साफ हुआ है तो काम में भी तेजी आई है। विकास कार्य जल्दी पूरा होने से लोगों को राहत मिलेगी।

शहर में एक साथ कई विकास परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें पैडलेगंज से नौसड़ तक सिक्सलेन और फ्लाईओवर का काम चल रहा है। इसके अलावा पैडलेगंज से फिराक गोरखपुरी चौराहे तक फोरलेन बनाया जा रहा है। खजांची चौराहे पर फ्लाईओवर, बरगदवां फर्टिलाइजर रोड पर ओवरब्रिज, ओंकारनगर महुआतर में ओवरब्रिज बनाया जा रहा है। इसके अलावा तारामंडल में नौकायन से देवरिया बाईपास तक फोरलेन और देवरिया बाईपास का काम चल रहा है।

पैडलेगंज से फिराक चौराहा फोरलेन का निर्माण भी तेज

पैडलेगंज से फिराक चौराहे तक 1.8 किलोमीटर लंबा फोरलेन बनाया जा रहा है। इसका काम जनवरी 2024 तक पूरा किया जाएगा। करीब 277 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे फोरलेन के किनारे नाला बनाया जा रहा है। बारिश होने की वजह से यहां पर नाला की ढलाई का काम प्रभावित हो रहा था। लेकिन अब इसके काम में तेजी आई है। यहां काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि बारिश होने से मिट्टी में जेसीबी नहीं चल पा रही थी। लेकिन अब मौसम सही होने से ढलाई और मिट्टी पटाई का काम चल रहा है।

खंचाजी चौराहा फ्लाईओवर के काम ने पकड़ी तेजी
मेडिकल कॉलेज रोड के खजांची चौराहे पर फ्लाईओवर निर्माण का काम जनवरी माह में शुरू हुआ था। 97 करोड़ रुपये की लागत से 600 मीटर लंबा फ्लाईओवर बनाया जा रहा है। इसके लिए दोनों ओर पिलर, तैयार हो चुके हैं, अब गर्डर (बीम) बन रहा है। पानी बरसने की वजह से यहां काम कई बार काम ठप हो गया था। लेकिन अब मौसम ठीक होने से इसके काम में तेजी आई है।

गीली मिट्टी के चलते मशीन चलाने में हो रही थी परेशानी
पानी बरसने के कारण गीली मिट्टी में जेसीबी सहित अन्य भारी मशीनें नहीं चल पा रही थीं। पुल और छत की ढलाई का काम प्रभावित हो रहा था। नाला खोदने पर इसमें पानी भरने के कारण मजदूर नहीं उतर पा रहे थे। इसलिए काम रोकना पड़ जा रहा था। कार्यदायी संस्थाओं से जुड़े लोगों का कहना है कि बरसात में कोई भी निर्माण कार्य कराना कठिन होता है। कच्ची मिट्टी में काम करने में कठिनाई आती है। मिट्टी की भराई का काम नहीं हो पाता

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