नई दिल्ली,स्पोर्ट्स डेस्क : खेल तंत्र को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने की दिशा में पहल करते हुए लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक-2025 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक-2025 विपक्ष के हंगामे में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे आजादी के बाद भारतीय खेल क्षेत्र का सबसे बड़ा सुधार बताया और कहा कि इससे 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की तैयारी के लिए भारत को मजबूत आधार मिलेगा। नए नियम में अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को भी सरकारी अनुशासन के दायरे में लाया गया है। 23 जुलाई को यह बिल पेश किया गया था।
खेल क्षेत्र में सुधार की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही थी-मांडविया
मांडविया ने कहा कि खेल क्षेत्र में सुधार की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही थी। 1975 में प्रयास भी हुए थे। दस वर्ष बाद 1985 में पहला ड्राफ्ट तैयार हुआ था। यहां तक कि वर्ष 2011 में राष्ट्रीय खेल संहिता भी आ गई, लेकिन राजनीतिक कारणों से बिल संसद तक नहीं पहुंच सका। उन्होंने इसे ऐतिहासिक बदलाव बताते हुए कहा कि अब देश की खेल क्षमता को नया आकाश मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शन सुधारने में मदद मिलेगी।
नए प्रविधान के तहत देश में राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण बनेगा
खेल विधेयक का उद्देश्य देश में खेल प्रशासन को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पारदर्शी, जवाबदेह एवं सक्षम बनाना है। इसके तहत राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को मान्यता देगा। सरकारी फंड पाने के लिए इन महासंघों को बोर्ड की मान्यता जरूरी होगी। यदि किसी महासंघ ने समय पर चुनाव नहीं कराए या चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की या सरकारी धन का दुरुपयोग किया तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
नए नियम में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) भी सरकारी निगरानी के दायरे में आ जाएगा। हालांकि यह प्राइवेट गवर्निंग बॉडी है, जो भारतीय क्रिकेट का संचालन करता है। वह सरकार से फंड भी नहीं लेता है फिर भी उसे महासंघ के रूप में ही गिना जाएगा और प्राधिकरण से प्रत्येक वर्ष मान्यता लेनी पड़ेगी। उसके कानूनी मामलों का निपटारा नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल में किया जाएगा। हालांकि बीसीसीआई को आंशिक राहत देते हुए आरटीआई के दायरे से बाहर रखा गया है
नए प्रविधान के तहत देश में राष्ट्रीय खेल प्राधिकरण बनेगा, जिसके पास अदालत जैसी शक्तियां रहेंगी। वह खिलाड़ियों एवं खेल महासंघों के बीच चयन, चुनाव एवं अन्य विवादों का निपटारा करने में सक्षम होगा। अभी तक राष्ट्रीय खेल संहिता में खेल प्रशासकों की अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष तय थी, मगर नए प्रविधान में 75 वर्ष तक के लोग भी चुनाव लड़ सकेंगे।
लोकसभा में इसी के साथ पारित राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) विधेयक का मकसद विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (वाडा) की आपत्तियों को दूर करना है। वर्ष 2022 के मूल कानून में ‘राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बोर्ड’ को राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) की निगरानी और सलाह देने का अधिकार था, जिसे वाडा ने सरकारी हस्तक्षेप मानते हुए खारिज कर दिया था।
संशोधित कानून में बोर्ड को बरकरार रखते हुए अधिकार को सीमित
संशोधित कानून में बोर्ड को बरकरार रखते हुए उसके अधिकार को सीमित कर दिया गया है और नाडा की संचालन संबंधी स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है।सरकार का मानना है कि दोनों विधेयकों से खेल तंत्र में व्यापक सुधार आएगा। खिलाडि़यों के हितों की रक्षा होगी और दुनिया में भारत मजबूती से स्थापित होगा। इसके पहले संसद में सुबह हंगामे के कारण कार्यवाही स्थगित हुई थी।
दो बजे कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर विपक्षी बेंच खाली रही। दरअसल, विपक्षी सदस्य बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के विरुद्ध मार्च के दौरान हिरासत में लिए गए थे, जिसके कारण शुरुआती चर्चा में शामिल नहीं हो सके। बाद में वे सदन में लौटे और हंगामा शुरू कर दिया, लेकिन शोरगुल के बावजूद विधेयक पारित हो गए।