नई दिल्ली, एजेंसी : कभी हथियारों के लिए विदेश पर निर्भर रहने वाला भारत अब हथियारों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक फ्रांस को पिनाक रॉकेट सिस्टम बेचने वाला है। फ्रांस पिनाक रॉकेट सिस्टम खरीदने के लिए लालायित है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान या रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता का इससे बेहतर उदाहरण शायद ही मिले। पिनाक को भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। पिनाक रॉकेट सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया है।
सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है भारत
भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर हो रहा है। भारत जिन देशों से पहले हथियार और रक्षा उपकरण खरीदता रहा है, अब वे देश भारत से रक्षा उपकरण खरीदने को आतुर दिखते हैं। इससे पहले भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्यात कर चुका है। ब्रह्मोस का विकास भारत और रूस ने मिलकर किया है।
फ्रांसीसी सेना के ब्रिगेडियर जनरल स्टीफन रिचौ ने कहा, ‘हम पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का मूल्यांकन कर रहे हैं, क्योंकि हमें पिनाक जैसे सिस्टम की जरूरत है।’ वरिष्ठ फ्रांसीसी अधिकारी दोनों पक्षों के लोग बातचीत के लिएवर्तमान समय में भारत में हैं।
‘दोनों देश उच्च तकनीक साझा कर रहे हैं ‘
फ्रांसीसी अधिकारी ने कहा, ‘दोनों देश उच्च तकनीक साझा कर रहे हैं, क्योंकि वे मिलकर स्कार्पीन जैसी उच्च क्षमता वाली पनडुब्बियां बना रहे हैं। दोनों देशों का सहयोग व्यापारिक साझेदारी से कहीं अधिक है।’ फ्रांसीसी ब्रिगेडियर जनरल ने कहा कि दोनों देश शक्ति श्रृंखला के अभ्यास आयोजित करते रहे हैं। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी के प्रतीक के रूप में एक-दूसरे के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहे हैं।
75 किलोमीटर से अधिक दूरी का लक्ष्य मार गिराने में सक्षम
पिनाक रॉकेट सिस्टम 75 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक लक्ष्य को भेद सकती है। भारत पहले से ही इसका निर्यात कर रहा है। आर्मेनिया ने इसके लिए ऑर्डर दिया है। कई दूसरे देश भी इसमें अपनी रुचि दिखा रहे हैं। इस साल की शुरुआत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की उच्च स्तरीय यात्रा के दौरान फ्रांसीसी पक्ष के साथ इस रॉकेट सिस्टम पर चर्चा हुई थी। पिनाक का विकास डीआरडीओ ने सोलार इंडस्ट्रीज, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा जैसी कंपनियों और आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के साथ मिलकर किया है।