न्यूयार्क, एनएआई : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सोमवार को ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की रक्षा के प्रकरण से प्रभावी बहुपक्षवाद’ पर खुली बहस की गई। इस दौरान भारत की स्थाई सदस्य रुचिरा कंबोज ने वीटो पावर पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या 5 राष्ट्रों को दूसरों की अपेक्षा में सबसे अधिक योग्य बनाने वाले चार्टर का बचाव करके प्रभावी बहुपक्षवाद का चलन किया जा सकता है।
रुचिरा कंबोज बोली कि क्या हम एक चार्टर का बचाव करके ‘प्रभावी बहुपक्षवाद’ का चलन कर सकते हैं, जो 5 देशों को वीटो पावर देकर शेष दूसरों की तुलना में अधिक योग्य बनाते है और उन 5 में से प्रत्येक को शेष 188 सदस्य देशो की सामूहिक इच्छा की अनदेखी करने की शक्ति प्रदान करता है?
संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता था, जब 26 जून 1945 को सैन फ्रांसिस्को में इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा कि 77 साल बाद जब हम अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीपों के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले देश को वैश्विक निर्णय लेने के समय बाहर रखते हुए देखते हैं, तो भारत सही तरीके से एक प्रमुख सुधार की मांग करता हैं।
यहां तक कि जब हम इस पर बहस कर रहे हैं और चाहते हैं कि ‘प्रभावी बहुपक्षवाद’ मजबूत हो, हम सामूहिक रूप से बहुपक्षीय प्रणाली की अपर्याप्तता से अवगत हैं जो वर्तमान समय में चुनौतियों का जवाब देने में असफल रही है, चाहे वह कोविद 19 महामारी हो या यूक्रेन में चल रही लड़ाई ।
रुचिरा कंबोज ने कहा कि इसके अतिरिक्त , आतंकवाद, कट्टरवाद, क्लाइमेट चेंज और कार्रवाई, ऋण और कई भू-राजनीतिक प्रतियोगिताओं जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियां वैश्विक शांति और सुरक्षा को कमजोर करना जारी रखती हैं। उन्होंने कहा कि हम कब तक बहुपक्षवाद को केवल शब्दों और महज जुबानी सेवा के साथ सुधारने के इरादे से ‘प्रभावी’ बहुपक्षवाद को सजाते रहेंगे?