नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : सीमा पार आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने की एक बार फिर भारत पूरी कोशिश करेगा।
ब्राजील के रियो डी जेनेरो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी होने वाले संयुक्त घोषणा पत्र में न सिर्फ पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किए जाने की संभावना है, बल्कि ब्रिक्स देश किसी भी तरह के सीमा पार आतंकवाद की जमकर निंदा करेंगे।
इस घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के विरुद्ध कार्रवाई की बात भी हो सकती है। इस बात के संकेत विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक मामले) धाम्मु रवि ने यहां ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने ब्राजील जा रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के संबंध में जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में कहा ।
रवि ने कहा, “ब्रिक्स देश पहलगाम हमले और आतंकवाद को लेकर काफी संवेदनशील रहे हैं। इस बारे में सदस्य देशों में कोई विचार भिन्नता नहीं है। हमें पूरी उम्मीद है कि संयुक्त घोषणा पत्र में आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट आवाज उठाई जाएगी। जब घोषणा पत्र जारी होगा तो आप देखेंगे कि इसकी भाषा काफी संतोषप्रद होगी।”
पहलगाम हमले के बाद भारत हुआ मुखर
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को लेकर भारत काफी मुखर हो चुका है। पिछले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में जारी होने वाले संयुक्त घोषणा पत्र में जब पहलगाम हमले का जिक्र नहीं हो रहा था, तब भारत ने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
जबकि संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं हो सका। पहले भी ब्रिक्स घोषणा पत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर कई बार परोक्ष रूप से हमला किया गया है। वर्ष 2015 में जब भारत में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन हुआ था, तब उसमें पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठनों का नाम शामिल किया गया था।
यह देखा गया है कि ब्रिक्स में आतंकवाद पर चीन का रुख अलग होता है, जबकि एससीओ में अलग। पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है, माना जाता है कि इसीलिए उसमें चीन उसके पक्ष में झुक जाता है। वर्ष 2024 के ब्रिक्स घोषणा पत्र में भी हर तरह के आतंकवाद की ¨नदा करते हुए सदस्य देशों के बीच बेहतर सामंजस्य व सहयोग की बात की गई थी। हालांकि एक-दो बार ऐसा हुआ है कि आतंकवाद को लेकर ब्रिक्स घोषणा पत्र की भाषा भारत से ज्यादा रूस की चिंताओं को प्रकट करने वाली रही है।
कल 5 देशों की यात्रा पर रवाना होंगे पीएम
पीएम मोदी 2जुलाई को घाना, अर्जेंटीना, त्रिनिदाद व टोबैगो, ब्राजील और नामीबिया की यात्रा पर रवाना होंगे। इसी दौरान वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। मोदी की यह यात्रा दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देशों के साथ रिश्तों को नए ढंग से गढ़ने में जुटे भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
इन देशों के नेताओं के साथ बातचीत में भी प्रधानमंत्री मोदी सीमा पार आतंकवाद के खतरे का मुद्दा उठाएंगे, कुछ देशों के साथ आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाने का समझौता भी होगा।
सर्वोच्च नागरिक सम्मान से होंगे सम्मानित
रवि ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी घाना, नामीबिया और त्रिनिदाद व टोबैगो में वहां के सांसदों को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी प्रमुख वैश्विक नेता हैं और कई देश मोदी को विशेष रूप से सम्मानित करना चाहते हैं।
श अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी प्रधानमंत्री को सम्मानित करेंगे। यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग को लेकर भी सहमति बनने की संभावना है। घाना और नामीबिया के साथ यूपीआइ के प्रयोग पर भी समझौता होने जा रहा है।
घाना में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 30 वर्षों बाद, नामीबिया में 27 वर्षों बाद, त्रिनिदाद में 26 वर्षों बाद और अर्जेंटीना में 57 वर्षों बाद की जाने वाली द्विपक्षीय यात्रा होगी। ब्राजील की भारतीय प्रधानमंत्री की यह चौथी यात्रा होगी।