नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : भारत और ब्रिटेन के बीच हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) से भारत के कंपल्सरी लाइसेंसिंग के अधिकारों पर किसी भी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं लगेगी। यह जानकारी केंद्र सरकार की ओर से दी गई।
यह समझौता भारत को जनहित और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में पूर्ण नीतिगत स्वतंत्रता प्रदान करता है
सरकार ने स्पष्ट किया कि यह समझौता भारत को जनहित और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में पूर्ण नीतिगत स्वतंत्रता प्रदान करता है। विशेष रूप से किसी स्वास्थ्य आपात स्थिति में भारत अपने कानूनों के अनुसार दवाओं के लिए कंपल्सरी लाइसेंस जारी कर सकेगा।
इससे भारत बिना किसी अतिरिक्त शर्त के जनहित में निर्णय ले सकेगा
सरकार के अनुसार, इस समझौते में ऐसे मजबूत प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो भारत की नीतिगत स्वायत्तता को पूरी तरह सुरक्षित रखते हैं। सीईटीए में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत और ब्रिटेन दोनों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (टीआरआईपीएस) समझौते के तहत उपलब्ध सभी छूटों का उपयोग करने का अधिकार रहेगा। इसमें अनुच्छेद 31 और 31बीआईएस के अंतर्गत कंपल्सरी लाइसेंस जारी करने का अधिकार भी शामिल है। इससे भारत बिना किसी अतिरिक्त शर्त के जनहित में निर्णय ले सकेगा।
कानूनों में किसी भी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता नहीं
राज्यसभा में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि भारत के पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 84 (सामान्य कंपल्सरी लाइसेंस) और धारा 92 (जन स्वास्थ्य आपात स्थिति में कंपल्सरी लाइसेंस) पूरी तरह लागू रहेंगी। इस समझौते के कारण इन कानूनों में किसी भी प्रकार के संशोधन या शिथिलता की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समझौते में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो कंपल्सरी लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को धीमा करे या उस पर अतिरिक्त शर्तें लगाए।
भारत को ब्रिटेन के सरकारी खरीद बाजार में बिना भेदभाव के पहुंच प्राप्त
इस व्यापार समझौते के तहत भारत को ब्रिटेन के सरकारी खरीद बाजार में बिना भेदभाव के पहुंच प्राप्त होगी, जिसकी वार्षिक अनुमानित कीमत लगभग 90 अरब पाउंड (करीब 122 अरब डॉलर) है। इसमें ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) जैसी प्रमुख संस्थाएं भी शामिल हैं। इससे विशेष रूप से आईटी, फार्मा और सेवा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को बड़ा लाभ मिलने की संभावना है।
सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी की अनुमति देने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
सरकार के अनुसार, सीमित और नियंत्रित दायरे में विदेशी कंपनियों को सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी की अनुमति देने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लागत में कमी आएगी, गुणवत्ता में सुधार होगा और नई तकनीकों को अपनाने में मदद मिलेगी।
व्यापार समझौतों के कुछ सख्त प्रावधानों में ढील देने पर सहमति
इसके अलावा, यह पहली बार है जब ब्रिटेन ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सरकारी खरीद समझौते और अपने अन्य मुक्त व्यापार समझौतों के कुछ सख्त प्रावधानों में ढील देने पर सहमति जताई है। इससे भारत को इस समझौते के तहत अतिरिक्त लाभ मिलने की संभावना है।
