मेरठ ,संवाददाता : सेंट्रल मार्केट में आवासीय भवन 661/6 में अवैध कॉम्प्लेक्स के ध्वस्तीकरण का आदेश कई बार दिया जा चुका है। अब 27 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है। इससे पहले ही शनिवार को इसके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पर ड्रोन से भी की जा रही निगरानी
सेंट्रल मार्केट में कार्रवाई के दौरान ड्रोन से हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही है। इलाके में आसपास खड़ी भीड़ पर भी कैमरे की नजर है।
अवैध कॉम्प्लेक्स पर चलने लगी जेसीबी
सेंट्रल मार्केट में अवैध कॉम्प्लेक्स में बनी दुकानों पर जेसीबी चलनी शुरू हो गई है। इस दौरान अभी तक टीम को किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा है।
ध्वस्तीकरण के लिए पहुंची जेसीबी
अवैध कॉम्प्लेक्स के ध्वस्तीकरण के लिए जेसीबी पहुंचते ही दुकानदारों के दिल की धड़कनें बढ़ गईं। उनके परिजन मौके पर ही रोने बिलखने लगे।
व्यापारियों और उनके परिजनों की भीड़ लगी
कार्रवाई के दौरान व्यापारी, उनके परिजन व रिश्तेदार मौके पर इकट्ठा हो गए। बाजार के अन्य व्यापारी भी आ गए।
अवैध कॉम्प्लेक्स का बिजली कनेक्शन काटा
सेंट्रल मार्केट में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले बिजली काटी गई। विद्युत कर्मचारी ने खंभे पर चढ़कर अवैध कॉम्प्लेक्स का कनेक्शन काट दिया।
सेंट्रल मार्केट के चारों ओर की गई बैरीकेडिंग, रास्ते रोके
सेंट्रल मार्केट में फायर ब्रिगेड भी तैनात कर दी गई है। सेंट्रल मार्केट के चारों ओर के रास्तों को बैरिकेडिंग से बंद कर दिया गया है। बाजार भी पूरी तरह बंद है। पूरे क्षेत्र में पुलिस बल तैनात है।
ये है पूरा मामला
आवास एवं विकास परिषद के दस्तावेजों में सेंट्रल मार्केट नाम से कोई बाजार नहीं है। स्कीम नंबर सात में शास्त्रीनगर सेक्टर-6 व 2 के तहत बाजार विकसित होता गया। यहीं पर 288 वर्ग मीटर का भूखंड संख्या 661/6 है, इसमें 22 दुकानें हैं। विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक वीर सिंह निवासी काजीपुर को भूखंड आवंटन हुआ। 30 अगस्त 1986 को कब्जा दिया गया। छह अक्तूबर 1986 को फ्री होल्ड डीड हुई, इसमें संपत्ति को आवासीय प्रयोग के लिए योजित किया गया।
विनोद अरोड़ा के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी हुई। इसके बाद 22 दुकानों का कॉम्प्लेक्स बना दिया गया। 19 सितंबर 1990 को आवास एवं विकास परिषद की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजकर अवैध निर्माण रोकने को कहा गया। नौ फरवरी 2004 को आवंटित भूखंड का अवैध रूप से उपयोग किए जाने या वाणिज्यिक उद्देश्य के प्रयोग पर संपत्ति को हटाया जा सकता था। कॉम्प्लेक्स प्रबंधन की ओर से कोई जवाब दाखिल न करने पर 23 मार्च 2005 को ध्वस्तीकरण के आदेश पारित हुए। आदेश के बावजूद विभाग की ओर से कोई कार्रवाई न होने पर 17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने ध्वस्तीकरण के आदेश दिया।
