देहरादून, संवाददाता : उत्तराखंड राज्य गठन के 23 वर्षो बाद भी प्रदेश के 9,888 गांव आज भी सड़क मार्ग से दूर हैं। इन गांवों की आबादी 250 से कम होने के चलते प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में भी यह गांव नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना ही इन गांवों तक सड़क पहुंचाने का आखिरी जरिया है।
प्रथम चरण में ऐसे संपर्क मार्ग विहीन 3,177 गांवों को योजना में सम्मिलित किया गया है। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना में राज्य के ऐसे गांवों और तोक को शामिल किया गया है, जिनकी आबादी 250 या उससे कम है। आबादी कम होने के कारण से यह गांव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना या लोक निर्माण विभाग की कार्ययोजना के मानकों को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए इन गांवों में आज तक सड़क नहीं बन पाई है।
प्रदेश के लगभग 2,035 गांव मुख्य मार्गों से नहीं जुड़ पाए
वर्तमान में प्रदेश के लगभग 2,035 गांव मुख्य मार्गों से नहीं जुड़ पाए हैं। इसके अलावा 1,142 गांव ऐसे हैं, जो कच्ची सड़कों से जुड़े हैं। इस तरह से कुल 3,177 बसावटों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए नई योजना में सम्मिलित किया गया है। इसके अलावा 250 से कम आबादी वाले 289 गांव ऐसे हैं, जहां मात्र एक किमी सड़क बनाई जानी है।
1,530 गांव ऐसे हैं, जहां एक से पांच किमी तक सड़क बनाई जानी हैं। वहीं 216 गांव ऐसे हैं, जहां पांच किमी से अधिक लंबाई की सड़क बनाई जानी है। इन सभी सड़कों की कुल लंबाई 6,276 किमी के आसपास है।
250 से कम आबादी वाले गांवों को पीएमजीएसवाई में सम्मिलित करने के लिए केंद्र सरकार से वार्ता की जा रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ऐसे गांवों को सम्मिलित कर संपर्क मार्ग से जोड़ा जा रहा है। इन गांवों के मुख्य मार्गों से जुड़ने से हजारों की आबादी को लाभ होगा। इतना ही नहीं योजना के तहत मोटर मार्गों के अलावा पैदल पुलिया, मोटरपुल, अश्वमार्ग, झूला पुल आदि का निर्माण भी किया जाएगा। – गणेश जोशी, ग्राम्य विकास विभाग मंत्री