नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा क्रिसमस समारोह में दिए गए बयान के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। कोयंबटूर दक्षिण की विधायक और तमिलनाडु की वरिष्ठ भाजपा नेता वानति श्रीनिवासन ने मुख्यमंत्री पर हिंदुओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है और हिंदू त्योहारों में उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाए हैं।
मुख्यमंत्री धार्मिक भेदभाव की भावना रखते हैं
वानति श्रीनिवासन ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री धार्मिक भेदभाव की भावना रखते हैं और उनके बयानों से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने दीपावली, विनायक चतुर्थी और थाईपुसम जैसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति का उल्लेख करते हुए कहा, “वह हिंदू त्योहारों पर शुभकामनाएं तक नहीं देते। डीएमके का शासन व्यवस्थित भेदभाव को दर्शाता है।”
विधायक वानति श्रीनिवासन ने कहा
मंदिरों का रखरखाव सरकार नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के दान और चढ़ावे से होता है। विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष की भी आलोचना की और कहा कि सदन में ऐसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। थाईपुसम का उल्लेख करते हुए वानति श्रीनिवासन ने मुख्यमंत्री को भगवान मुरुगन के उत्सव में भाग लेने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि भगवान मुरुगन, भगवान कार्तिकेय का ही एक रूप हैं, जिनकी दक्षिण भारत में व्यापक पूजा होती है।वानति ने मंदिरों के प्रशासन को लेकर भी राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मंदिरों का रखरखाव सरकार नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के दान और चढ़ावे से होता है।
उन्होंने हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग पर रिश्वत मांगने और हिंदू भक्तों को बिना अनुमति के ‘कुंभाभिषेकम’ जैसे पारंपरिक अनुष्ठान करने से रोकने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “ये कदम सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार के संकेत नहीं हैं। सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने के लिए स्वयं डीएमके जिम्मेदार है।”
वानति श्रीनिवासन ने कहा कि क्रिसमस सभा में ईसा मसीह और शांति का संदेश देने के बजाय मुख्यमंत्री ने धार्मिक विभाजन को बढ़ावा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की विभाजनकारी टिप्पणियों के जरिए मुख्यमंत्री ने एक बार फिर खुद को हिंदुओं का विरोधी साबित किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयानों को बेहद निंदनीय बताया।
उल्लेखनीय है कि 20 दिसंबर को पलायमकोट्टई में आयोजित क्रिसमस समारोह में मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा था कि उनकी पार्टी और सरकार बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों की जरूरतों को पूरा करती है और ऐसे विकास कार्य करती है, जो “कुछ ऐसे समूहों” को परेशान करते हैं, जो तमिलनाडु की शांति भंग करना चाहते हैं। उन्होंने जनता को उन तत्वों से सतर्क रहने की भी अपील की, जो राजनीतिक उद्देश्य से धार्मिक भावनाओं को भड़काते हैं।
