इंदौर, सुनील भार्गव : क्रिकेट में सबसे बड़ा शॉट सिक्सर होता है और लगातार छह गेंदो को बाउंड्री के पार मारने वाले युवराज को कोई नहीं भूल पा रहा है। भारतीय क्रिकेट में एक और ‘युवराज’ की चर्चा आजकल जोरो पर है, जो मैदान के बाहर से लगातार तूफानी शॉट लगा रहा है। उम्र 29 साल है, लेकिन देश में क्रिकेट की ऐसी लीग तैयार कर दी, जिसके नवाचारों की बराबरी आईपीएल भी नहीं कर पाया ।
हर फ्रेंचाइजी टीम के द्वारा खिलाड़ियों को नौकरी दी जा रही है तो पर्यावरण संरणक्ष की पहल करते हुए हर खाली गेंद पर 10 पौधे लगाने की तैयारी है। लीग का अपना मोबाइल गेमिंग ऐप है। इन सबके बीच स्तरीय क्रिकेट के मुकाबले भी हैं, जिसके चलते प्रदेश की टीमों से नहीं खेले खिलाड़ियों को भी आईपीएल में अवसर मिलने लगे हैं।
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यहां चर्चा मध्य प्रदेश क्रिकेट लीग और इसे खड़ा करने वाले लीग के चेयरमैन महाआर्यमन सिंधिया की है, जिन्हें मध्य प्रदेश के लोग युवराज नाम से संबोधित करते है। परिवार का नाम किसी युवा को प्रारंभिक मदद तो कर सकता है, लेकिन मुकाम बनाने में स्वयं को ही संघर्ष करना पड़ता है।
महाआर्यमन के पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं और मध्य प्रदेश क्रिकेट संगठन के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं। दादा स्व. माधवराव सिंधिया भी केंद्रीय राजनीति में बड़ा नाम थे, लेकिन महाआर्यमन अपनी अलग लाइन खींचने में जुटे हैं।
महाआर्यमन बताते हैं, परिवार का नाम एक जिम्मेदारी का अहसास कराता है। जब मैं ग्वालियर संभागीय क्रिकेट संगठन में पदाधिकारी बना तो खिलाड़ियों से संवाद किया। उनकी प्रतिभा थी और अवसरों की तलाश में थे। उनकी जरूरतों को समझा। इसके बाद मन में ऐसी लीग की जरूरत महसूस हुई, जो खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का मंच उपलब्ध कराए। मेरे दादाजी के समय में सिंधिया ट्रॉफी होती थी, जिसे दोबारा शुरू कराने की इच्छा मेरे पिता की भी थी।