रायपुर, संवाददाता : बस्तर शिक्षा जगत में एक अलग तरह का पहला मॉडल बनकर उभर रहा है। यहां सीआरपीएफ नक्सल इलाकों के बच्चों को शिक्षा को मुख्यधारा से भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पहली बार नक्सली संगठन के सीसी मेंबर नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में सीआरपीएफ ने गुरुकुल की स्थापना किया है ।
केंद्र और राज्य सरकार की समन्वित रणनीति तथा जवानों के पराक्रम से बस्तर में नक्सलवाद का धुंध अब छटने लगा है। बस्तर संभाग के सात जिलों में दो-तीन जिलों को छोड़कर नक्सलियों का सफाया हो चुका है। इसके साथ अब वहां शिक्षा,स्वास्थ्य और विकास की बात होने लगी है।
बस्तर शिक्षा के क्षेत्र में पहला मॉडल बनकर उभर रहा है। यहां सीआरपीएफ नक्सल क्षेत्रो के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पहली बार नक्सली संगठन के सीसी मेंबर नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में सीआरपीएफ ने गुरुकुल की स्थापना किया । इन गांवों तक पहुंचने वर्ष 2005 में सड़क ही नहीं थी, ऐसे में ये गांव मुख्यधारा से कटे हुए थे। अब करीब 19 वर्ष बाद 2024 में अधिकारी इन गांवों तक पहुंच पाए।
सिलगेर, पूवर्ती, टेकलगुड़ेम में शिक्षा का माहौल
कभी नक्सलियों का गढ कहे जाने वाले पूवर्ती, टेकलगुडेम शिक्षा का अलग माहौल है। सीआरपीएफ ने यहां गुरुकुल की स्थापना किया । इससे पूवर्ती, टेकलगुड़ेम में लगभग 80 से ज्यादा बच्चे गुरुकुल से जुड़ चुके हैं, जिन्हें शिक्षादूत एक वर्ष से शिक्षा दे रहे हैं।
हिड़मा के गांव पूवर्ती में सीआरपीएफ ने शुरू किया गुरुकुल
10 से अधिक बच्चे 100 किमी दूर कुआकोंडा के पोटाकेबिन में रहकर पढाई कर रहे हैं। ये वो बच्चे हैं, जिनके पालक क्षेत्र के खराब हो चुके माहौल को देखते हुए बच्चों को आश्रम-छात्रावासों में शिफ्ट कर दिया।
आनंद सिंह राजपुरोहित डीआईजी बोले कि तीन गुरुकुल चल रहे हैं। जिसमे बच्चों के लिए कॉपी-किताबो की व्यवस्था सीआरपीएफ कर रही है। पढ़ाई के साथ खेल-कूद के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
जीआर मंडावी, जिला शिक्षा अधिकारी, सुकमा ने कहा कि बच्चों का सर्वे किया जा रहा है। पूवर्ती में स्कूल का निर्माण किया जा रहा है। पढ़ाई छोड़ चुके 35 बच्चों को पुनः स्कूलों से जोड़ने की बात की जा रही है।