शिमला, एनएआई : हमेशा प्रथम श्रेणी में पास होने वाली अंजना ठाकुर शिक्षक बनने का सपना आंखों में संजोए हुए थीं, लेकिन यह घटना उसके लिए बड़ा सदमा था। एक दुर्घटना का शिकार हो गई। कॉलेज की पढ़ाई के समय अपना दाहिना हाथ गंवा देने वाली बीपीएल कार्ड धारक परिवार की बेटी अंजना ठाकुर ने आखिर हिम्मत नहीं हारी और बाएं हाथ से लिखना सीखकर अंजना ठाकुर अब बॉटनी की सहायक प्रोफेसर नियुक्ति हो गई हैं।
अंजना ठाकुर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं। अंजना ठाकुर मंडी के करसोग स्थित पांगणा के गांव गोड़न के पिता हंस राज और माँ चिंता देवी की बेटी हैं। राज्य लोक सेवा आयोग ने अंजना ठाकुर का चयन कॉलेज कैडर में बॉटनी की सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति हुई है।
बिजली का करंट लगने से अंजना का काटना पड़ा था हाथ
अंजना की मां ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से लेने के बाद अंजना जब वर्ष 2016 में करसोग कॉलेज से बीएससी (द्वितीय वर्ष) कर रही थी तभी बिजली का करंट लगने से अंजना ठाकुर बुरी तरह से घायल हो गईं थी । कई महीने तक आईजीएमसी शिमला और फिर पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती रहने के बाद उसका दाहिना हाथ काटना पड़ा, जिससे वह लिखती थीं।
हमेशा प्रथम श्रेणी में पास होने वाली अंजना ठाकुर शिक्षक बनने का सपना आंखों में संजोए हुए थीं, लेकिन यह घटना उसके लिए बड़ा सदमा था। अपना सपना पूरा करने के लिए अंजना ने अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान ही बाएं हाथ से लिखना सीखा। अस्पताल से छुट्टी के बाद फिर उसी कॉलेज में दाखिला लिया और अच्छे अंकों से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर लिया ।
बड़े भाई गंगेश कुमार ने बहन को आगे पढ़ाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी और घर की आर्थिक मदद करने के लिए पेंटर का कार्य शुरू कर दिया किया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एमएससी बॉटनी में प्रवेश लेने के बाद तो अंजना के हौसलों को पंख लग गए।
उसने पहले ही प्रयास में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की अत्यंत कठिन जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) परीक्षा भी पास कर लिया और अब अपना लक्ष्य हासिल कर लिया ।
उधर, विवि शिमला के कुलपति प्रोफेसर एसपी बंसल और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बधाई देते हुए कहा कि अंजना के संघर्ष और सफलता की कहानी सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है।