जम्मू, संवाददाता : मंदिरों के शहर में शनिवार को लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर अग्नि को अर्ध्य दिया गया। इसके साथ ही लोगों को मूंगफली, गज्जक, रेवड़ी आदि वितरित किए गए। इस दौरान ढोल-ताशे की थाप पर नांच-गाकर खुशियां मनाई गई।
कच्ची छावनी में अरोड़ा वंश सभा ने लोहड़ी मनाई। इसमें परंपरागत छज्जा भी देखने को मिला। ढोल-ताशे की थाप पर जश्न मनाया गया । इस दौरान पूर्व एमएलसी रमेश अरोड़ा ने कहा कि शायद हमारी नई पीढ़ी भूल चुकी है, उसको याद दिलाने के लिए नौ वर्ष पहले लोहड़ी मनाने की शुरूआत की थी।
नौ वर्ष की यात्रा में जम्मू-कश्मीर के इतिहास में छज्जा परंपरा को फिर से जीवित किया है। हम चाहेंगे कि यह परंपरा चलती रहे, ताकि इसके साथ जो डोगरा स्वाभिमान जुड़ा हुआ है, वह बनी रहे। उन्होंने सबको लोहड़ी की मुबारकबाद दिया । बच्चे और महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। इस मौके पर वरिष्ठ भाजपा नेता अब्दुल गनी कोहली, सुनीत कुमार रैना और अरोड़ा वंश सभा के अन्य सदस्य मौजूद रहे।
बाबा कैलख देव मन्दिर परिसर में लोहड़ी मिलन कार्यक्रम का आयोजन
बाबा कैलख देव मन्दिर परिसर में लोहड़ी मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मन्दिर कमेटी के महामंत्री शक्ति दत्त शर्मा ने कहा कि देशभर में लोहड़ी के पर्व की धूम मची है। लोहड़ी का पावन पर्व उत्तर भारत में काफी प्रचलित है। इस पावन दिन लोग फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं।
लोहड़ी के पर्व में रात के समय लोग अपने घरों के बाहर आग जलाते हैं। इस अग्नि में लोग मक्के और तिल से बनी चीजों को अर्पित करते हैं। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सत शर्मा, भाजपा आपदा प्रबंधन कमेटी के सह संयोजक सुनील दत्त राका,प्रभाकर खजुरिया, रजत सूदन,मैदान सेठ ,विनोद खजुरिया आदि उपस्थित रहे।
चाणक्य चौक पर डोगरा ब्राह्मण प्रतिनिधि सभा ने अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा के नेतृत्व में लोहड़ी का त्योहार उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया । सभा के प्रांगण में एक धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में सदस्यों, सामाजिक एवं धार्मिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। अग्नि की देवी को पुराण आहुति दी गई और सभी प्रतिभागियों द्वारा सूखे मेवे आदि का अर्घ अर्पित किया गया।
डोगरा सदर सभा ने भी डोगरा भवन में पूरे उल्लास और भाईचारे की भावना के साथ लोहड़ी मनाई। सभा के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री गुलचैन सिंह चाढ़क ने प्रसिद्ध लोक कथा दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई कि कैसे मुस्लिम समुदाय के बहादुर व्यक्ति ने एक हिंदू लड़की का सम्मान बचाया और उसकी अपनी बेटी की तरह देखभाल किया । उन्होंने बताया कि हमारे विविधतापूर्ण देश में सभी त्योहार मौसम और कृषि से भी संबंधित हैं और वर्ग या पंथ के भेदभाव के बिना सभी समुदायों द्वारा एक साथ मिलकर मनाए जाते हैं।