नई दिल्ली, एंटरटेनमेंट डेस्क : बॉलीवुड में इस समय भले ही पॉप, रिमिक्स का जमाना है लेकिन पुराने संगीत और उनके लिरिक्स में जो जादू था वो आजकल के ये गाने बिल्कुल पैदा नहीं कर सकते। 80 के दशक में जो रूहानी संगीत था उसे आजकल के सिंगर्स छू नहीं सकते। उनमें वो सुकून था, वो बात थी जिनसे हर कोई जुड़ा महसूस करता था।
हमेशा लोगों की जुबान पर रहते हैं उनके गीत
अब हम आपको उस दौर में तो नहीं पहुंचा सकते क्योंकि जाहिर सी बात है कि हमारे पास कोई टाइम मशीन नहीं है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गाने और कलाकार के बारे में बताएंगे जिसकी क्रिएटिविटी की आज के दौर में कल्पना भी मुश्किल है। ये मशहूर हिंदी गाने जब रेडियो, टीवी पर बजे तो लाखों के दिलों में वो तार छेड़ दिए जिसका टेस्ट आज भी कई लोगों की जुबान पर है।
शायद आपको यकीन न हो लेकिन बचपन में किशोर कुमार की आवाज फटे बांस जैसी थी। एक इंटरव्यू में अशोक कुमार ने बताया था कि बचपन में पैर में चोट लगने की वजह से डॉक्टर ने ऐसी दवा दी कि कई दिन तक किशोर कुमार रोते रह गए। रोने की वजह से उनका गला खुल गया और आवाज बेहतरीन हो गई।
कई भाषाओं में गाए गाने
किशोर कुमार कई विधाओं में माहिर थे। एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ-साथ वो एक बहुत अच्छे निर्देशक भी थे, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा या उनके संगीत के लिए किया जाता है। किशोर कुमार ने हिंदी के अलावा मराठी, गुजराती, असमिया, मलयालम, उड़िया और कन्नड़ सहित कई भारतीय भाषाओं के गाने गाए हैं। उन्होंने लता मंगेशकर के साथ 327 डूएट गाने गाए हैं।
समय पर नहीं पहुंची लता मंगेशकर
इसमें साल 1962 में आई फिल्म हाफ टिकट का गाना ‘आके सीधी लागी दिल पे’ की कहानी आपको हैरान कर देगी। इस गाने को लता मंगेशकर और किशोर कुमार को साथ में गाना था। लता मंगेशकर कुछ कारणों से उस समय रिकॉर्डिंग के लिए नहीं पहुंच पाईं। किशोर कुमार ने यहां अपना टैलेंट उकेरा और गाने को महिला और परुष दोनों की आवाज में रिकार्ड किया। रिलीज के बाद ये सुपरहिट रहा।
