लखनऊ, डॉ.जितेंद्र बाजपेयी : दिव्य सद्गुरु महात्मा श्री रामचन्द्रजी महाराज (बाबूजी), संस्थापक श्री रामचन्द्र मिशन शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) के 125वें अवतरण समारोह का शुभारंभ करते हुए कार्यक्रम के संयोजक राम शरण वाजपेयी ने बताया कि श्री बाबूजी महाराज मानव मात्र को ईश्वर प्राप्ति का संकल्प लेकर अवतरित हुए। उन्होंने मानवीय चेतना को ऊर्ध्वमुखी कर ईश्वररीय चेतना तक उत्थान किया। इसके साथ ही बहुसंख्यक साधकों को ईश्वर साक्षात्कार से आगे केन्द्रीय क्षेत्र तक की अवस्थाएं प्रदान की।
श्री बाबूजी ने गुरुडम को समाप्त कर कहा कि वास्तविक गुरु तो एकमात्र ईश्वर ही है-गुरु-शिष्य परम्परा को नकारते हुए आपने साधकों के बीच भाईचारा का सम्बन्ध स्थापित किया।
श्री बाबूजी महाराज की पौत्री रत्नम चन्द्रा ने बाबूजी महाराज के व्यावहारिक जीवन, रहनी, शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बाबूजी कहते थे हमारे पास जो आध्यात्मिक सम्पदा है वह सब हमारे गुरुदेव श्री लाला जी महाराज (फतेहगढ) की देन है।
इसके अतिरिक्त वाई बी सिंह प्रशिक्षक, विनीत तिवारी, डॉ श्रीमती विजया पंडित पूना, योगेन्द्र सिंह मेरठ, टायरॉन क्राफटन होम, शैलेन्द्र श्रीवास्तव लखनऊ आदि साधकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
तुलसी गंगा मण्डपम 959 बी, सेक्टर-ए, महानगर लखनऊ में आयोजित समारोह में भाग लेने हेतु देश के विभिन्न भागों से 300 अभ्यासी (साधक) सम्मिलित हुए हैं। इस अवसर पर “दिव्य प्रसाद” नाम से एक छोटी पुस्तिका का भी प्रकाशन किया गया है। इसमें श्री बाबूजी महाराज की गौरवपूर्ण उपलब्धियों का वर्णन है।