डॉ. आंबेडकर के 68वें परिनिर्वाण दिवस पर धम्म विचया कार्यक्रम आयोजित

DHAMM-VICHYA-KARYKRAM

रायबरेली, शैलेश पाल : संविधान शिल्पी बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर के 68वें परिनिर्वाण दिवस पर धम्म विचया कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए। मैं उस समाज की तरक्की उस समाज में महिलाओं की शिक्षा से मानता हूं। शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पीता है, वही गुर्राता है आदि बाबा साहब डॉ अंबेडकर से जुड़े प्रेरक प्रसंगों पर विस्तृत संवाद हुआ।

रायबरेली के सिविल लाइन स्थित सूर्या होटल में धम्मा फाऊंडेशन इंडिया एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संविधान शिल्पी डॉ अंबेडकर का 68वां परिनिर्वाण दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन धम्मा फाऊंडेशन की अध्यक्ष एवं ट्रस्टी उपासिका आशा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत बुद्ध वंदना, त्रिशरण एवं पंचशील से हुई। त्रिरत्न वंदना को सामाजिक चिंतक डॉ सुनील दत्त, एडवोकेट शिवनारायण मौर्य एवं इंजीनियर एस के आर्या ने प्रदान किया।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव अपर जिला जज अनुपम सौर्य ने अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को प्राप्त विभिन्न कानूनी अधिकारों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने अनुच्छेद-15(4), 16 (4), अनुच्छेद-17 व 23, अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989, यथा संशोधित नियम- 1995 को विस्तार से समझाया।

प्रमुख वक्ता मेवालाल साथी ने सम्बोधन में कहा –

अंबेडकरवादी सामाजिक चिंतक मेवालाल साथी ने प्रमुख वक्ता के रूप में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए। उन्होंने डॉ अंबेडकर के जीवन पर आधारित तमाम पहलुओं का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा की डॉ अंबेडकर की मौत अप्राकृतिक मौत है। उनकी मौत आज एक रहस्य बनी हुई है। उन्होंने बाबा साहब डॉ अंबेडकर के निजी सचिव नानक चंद्र रत्तू से मिलकर बाबा साहब की मौत के कारणों को जानने का प्रयास किया था, उसका उन्होंने यहां जिक्र भी किया।

इस अवसर पर फिरोज गांधी कॉलेज में बी.एड्. विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रवीण कुमार, डॉ राजेश कुमार, धम्मा फाऊंडेशन इंडिया के संस्थापक व ट्रस्टी अखिल सिंधु आदि ने भी डॉ अंबेडकर के जीवन पर आधारित प्रसंगों पर प्रकाश डाला। अखिल सिंधु ने डॉ अंबेडकर को बोधिसत्व कहकर संबोधित किया और कहा कि डॉ अंबेडकर का महापरिनिर्वाण 6 दिसंबर को 1956 को हुआ था। डॉ अंबेडकर बौद्ध परंपरा के एक बोधिसत्व हैं। बोधिसत्व दस पारमिताओं को प्राप्त करने वाला महापुरुष होता है। इन पारमिताओं को हासिल करने वाला बोधिसत्व महापरिनिर्वाण को प्राप्त होता है।

प्रबुद्ध लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया –

इस अवसर पर सामाजिक चिंतक डॉ सुनील दत्त, भारतीय बौद्ध महासभा उत्तर प्रदेश पंजीकृत के जिला उपाध्यक्ष सरोज अनिल कुमार, संयुक्त मंत्री कमल सोनकर, कोषाध्यक्ष रामगोपाल, शोभा सरण, एडवोकेट शिवनारायण मौर्य (मानव), विश्व दलित परिषद के अध्यक्ष राजेश कुरील, एस सी/ एस टी बेसिक टीचर वेलफेयर एसोसिएशन के अशोक प्रियदर्शी, अनिल कांत, नीरज रावत, डॉ जे के भारत, रामेश्वर भारती , रामेश्वर सिंह मौर्य, संतलाल मौर्य, डीडी कुशवाहा, राजेंद्र कुमार, डॉक्टर अंबेडकर सम्मिलित रहे।

इसके अतिरिक्त जन्मोत्सव संयुक्त समिति के संयोजक इंजीनियर एस के आर्या, एन के स्वामी, डॉ जयशंकर, इंजीनियर वंश बहादुर यादव, डॉ बाबूलाल दिवाकर, के पी राहुल, जगदीश शर्मा, राम समुझ लाल, वीरांगना झलकारी बाई कल्याण एवं विकास परिषद के अध्यक्ष राम सजीवन धीमान, हरिकेश कितियाभा, राष्ट्रीय भागीदारी आंदोलन के विमल किशोर सबरा, राजेश कबीर न्यूज़ (भदसाना), रामनाथ भारती, पवन मौर्य (तूफानी), रवि प्रकाश मौर्य, विश्व बौद्ध महासंघ के राष्ट्रीय सचिव धम्म दीप, प्रीतम कुमार, सर्वेश कुमार, सूर्यकांत, डीपी नीरज आदि ने भाग लिया।

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