कानपुर, संवाददाता : संजना बताती हैं कि बाहर जाने के लिए रिजर्वेशन कराने के भी कभी-कभी पैसे पिता के पास नहीं बचते हैं। ऐसे में बड़े भाई की तरह हमेशा मदद करने वाले राहुल गुप्ता हमारा रिजर्वेशन करते हैं और खेल से संबंधित सभी किट उपलब्ध कराते रहते हैं।
यदि आप[के अंदर यदि कुछ कर गुजरने का जजबा हो तो आर्थिक तंगी भी उसको उसकी मंजिल तक पहुंचने में बांधा नहीं बन सकती है। यह कहावत कानपुर की जूडो खिलाड़ी संजना कश्यप पर बिल्कुल सही बैठती है। उसने विपरित हालातों के बावजूद खेलों इंडिया की राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता के जूनियर वर्ग में स्वर्ण पदक जीत कर अपने इरादे भविष्य के लिए साफ कर दिया हैं।
काकादेव एम ब्लॉक के निवासी फूलचंद घर के पास में ही फल का ठेला लगाकर लगाते हैं। परिवार में पत्नी लक्ष्मी, बड़ा बेटा शिवम, तीन बेटियां जुगनी, अंजली और संजना है। पिता के साथ ठेला लगाकर पिता के कार्य में हाथ बटाने का कार्य भी संजना और भाई शिवम करते थे, लेकिन फिर शिवम ने संजना को खेल पर ध्यान देने के लिए बोला और खुद पिता के साथ कार्य करने लगा।
2020 से फिर लगातार खेल रही हैं जूडो
परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, संजना का पूरा परिवार दो कमरे की एक कॉलोनी में रहता है। संजना ने 2015 में खेल में कदम रखा था। उस समय संजना ने कुराश खेलना शुरू किया था। कुराश भी मार्शल आर्ट की एक विधा है, जो जूडो से मिलती-जुलती होती है। कुराश के साथ-साथ वह हैपकीड़ो बॉक्सिंग का भी अभ्यास करती थी। कुराश और हैपकीड़ों जैसे खेल में ज्यादा भविष्य नहीं दिखाई देने के बाद संजना ने अपना रुख जूडो की तरफ कर लिया। 2020 से फिर लगातार जूडो खेल रही हैं।
रिजर्वेशन के लिए ली मदद
संजना बताती हैं कि बाहर जाने के लिए रिजर्वेशन कराने के भी कभी-कभी पैसे पिता के पास नहीं बचते हैं। ऐसे में बड़े भाई की तरह हमेशा मदद करने वाले राहुल गुप्ता हमारा रिजर्वेशन करते हैं और खेल से संबंधित सभी किट उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा हमारे कोच राजेश भारद्वाज भी हमारी आर्थिक रूप से काफी मदद करते हैं। यदि सरकार हम लोगों को सुविधा दे, तो हम और भी पदक जीत सकते हैं। संजना का सपना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीतू।