भोपाल, संवाददाता : ईडी, आईटी और लोकायुक्त के छापे के बाद से फरार चल रहे आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा ने सोमवार को वकील सूर्यकांत बुझाड़े के जरिए कोर्ट में सरेंडर के लिए आवेदन दिया है। बता दें कि मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में हुए काले धन के घोटाले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा की लंबे समय तक तलाश जारी है । जांच में शामिल विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियां-लोकायुक्त पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी उसकी तलाश में है। सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है, जबकि दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने समन जारी किए है।
7.98 करोड़ रुपये की चल संपत्ति जब्त की थी
सौरभ शर्मा के भोपाल स्थित अरेरा कॉलानी स्थित निवास और ऑफिस पर लोकायुक्त ने छापेमारी की थी। इस दौरान लोकायुक्त ने उसके निवास से 7.98 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की थी। इसमें 235 किलो चांदी और 2.87 करोड़ रुपए नगद मिले थे। शर्मा ने भ्रष्ट तरीके से अर्जित आय का उपयोग अपनी मां, पत्नी, रिश्तेदारों और करीबियों के नाम पर संपत्ति बनाने में किया था।
उसके करीबी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल स्थापित करना भी शामिल है। सौरभ के खिलाफ विभिन्न राज्यों में प्रॉपर्टी निवेश की जानकारी भी सामने आई है। लोकायुक्त की कार्रवाई के बीच ही भोपाल के मेंडोरी गांव में आयकर विभाग की टीम ने सोना लदी कार जब्त की। इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए जब्त किए गए। यह कार सौरभ के करीबी चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इस कार्रवाई के सात दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ और उसके करीबियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में ईडी ने 23 करोड़ रुपए की चल संपत्ति जब्त की।
नियुक्ति पर भी सवाल
सौरभ शर्मा के पिता स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर थे, उनकी मृत्यु के बाद सौरभ ने अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। स्वास्थ्य विभाग में पद नहीं होने पर सौरभ को परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर 2016 में नियुक्ति मिली थी। इस बीच सौरभ शर्मा की नियुक्ति की तरफ से दिए गए शपथ पत्र को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि उसमें गलत जानकारी देकर नौकरी पाई गई। सौरभ ने सिर्फ 2023 तक सात साल काम किया और अकूत संपत्ति कमाई। सौरभ परिवहन विभाग की चेकपोस्ट से होने वाली अवैध कमाई का कलेक्शन करने काम करता था।