नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : नई विकसित भारत रोजगार व आजीविका गारंटी मिशन-ग्रामीण (वीबी-जी राम जी) योजना के तहत केंद्र और राज्यों के बीच फंड का बंटवारा तय मानकों के आधार पर किया जाएगा। इससे पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन की तुलना में राज्यों को करीब 17,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। यह जानकारी सोमवार को जारी एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में दी गई है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा कि अगर केवल केंद्र के हिस्से के फंड का मूल्यांकन सात निर्धारित मानकों के आधार पर किया जाए, तो अधिकांश राज्यों को फायदा होगा। उनके अनुसार, इस आकलन के तहत राज्यों को पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन से लगभग 17,000 करोड़ रुपए अधिक मिल सकते हैं। रिपोर्ट में एक काल्पनिक (हाइपोथेटिकल) स्थिति का आकलन किया गया है, जिसमें फंड के बंटवारे में समानता और कार्यक्षमता, दोनों को समान महत्व दिया गया है।
श्रमिकों को समय पर मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित
इस राज्यों को पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन से लगभग 17,000 करोड़ रुपए अधिक मिल सकते हैं बताए गए हैं। पहला, समानता, जिसके तहत उन राज्यों को अधिक सहायता देने की बात कही गई है, जहां जरूरत ज्यादा है, ग्रामीण आबादी अधिक है और प्रशासनिक जिम्मेदारियां बड़ी हैं, ताकि वहां रोजगार की मांग को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके। दूसरा आधार कार्यक्षमता का है, जिसमें उन राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जो उपलब्ध फंड का उपयोग कर स्थायी रोजगार का सृजन करते हैं, टिकाऊ परिसंपत्तियां विकसित करते हैं और श्रमिकों को समय पर मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन सात मानकों को न्याय और कार्यदक्षता के संतुलन के आधार पर तय किया गया है। इसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत वित्त वर्ष 2019 से 2025 तक (वित्त वर्ष 2020-21 को छोड़कर) हुए औसत आवंटन की तुलना नए मानकों से की गई है। कुल मिलाकर, इस नए फार्मूले के तहत राज्यों को पिछले 7 वर्षों की तुलना में लगभग 17,000 करोड़ रुपए का लाभ मिलने का अनुमान है, जिससे अधिकांश राज्य फायदे में रहेंगे।
सभी राज्यों को लाभ
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अनुमानित स्थिति में लगभग सभी राज्यों को लाभ होगा। केवल दो राज्यों को मामूली नुकसान की आशंका जताई गई है। तमिलनाडु के संदर्भ में रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यदि वित्त वर्ष 2024 में हुई असामान्य वृद्धि (जो वित्त वर्ष 2022 और 2023 के औसत से 29% अधिक थी) को गणना से हटा दिया जाए, तो संभावित नुकसान लगभग समाप्त हो जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को इस नई व्यवस्था से सबसे अधिक लाभ मिलने की संभावना है। इनके बाद बिहार, छत्तीसगढ़ और गुजरात को भी उल्लेखनीय फायदा हो सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि फंड का बंटवारा पारदर्शी और तय मानकों के आधार पर किया जाए, तो इससे विकसित और पिछड़े, दोनों प्रकार के राज्यों को लाभ होगा। साथ ही, राज्य अपने 40% अंशदान के जरिए योजना के प्रभाव और परिणामों को और बेहतर बना सकते हैं।
