प्रयागराज, संवाददाता : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण में 13 साल पहले हुए 143 छात्रों को छात्रवृति राशि 1,65,,000 रुपये गबन के मामले में श्रीमती खुशनुमा पत्नी मुर्तजा ,प्रधानाचार्य,अल इदरीश मदरसा लिसाड़ी रोड मेरठ के विरुद्ध छात्रवृति गबन के मामले में दर्ज मुकदमे में चल रही जांच में गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व प्रवीन कुमार गिरी की अदालत ने याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया।
याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने दलील दी-
याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने दलील दी कि वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा 3 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति 98 मदरसा / स्कूल में तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के द्वारा वितरण कर मदरसा के खाते में छात्रवृत्ति भेजकर नगद वितरित किया गया था ।
अल इदरीश मदरसा के प्रधानाचार्य श्रीमती खुशनुमा के विद्यालय के खाते में भेजी गई छात्रवृत्ति 1,65,000 रुपये भेजे जाने पर नियमानुसार 143 बच्चो को नगद वितरण कराया गया था, लेकिन कुछ मदरसा / स्कूल में पाई गई अनियमिताओं के कारण तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम व उनके क्लर्क संजय त्यागी सहित अन्य मदरसा के कर्मचारियों सहित 98 एफ आई आर दर्ज कराया गया था।
याची के विरुद्ध नीतू राणा ,इंस्पेक्टर आर्थिक अपराध शाखा -थाना ने मुकदमा दर्ज कराया कि याची ने छात्रवृत्ति की धनराशि का नगद वितरण बता कर अधिकारी व क्लर्क के साथ मिलकर छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन कर लिया जबकि बच्चो के खातों में पैसा जाना चाहिए था।
याची अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि याची ने नगद वितरण किया है और ई. ओ. डब्लू. की जांच में सहअभियुक्त संजय त्यागी की जांच में स्वयं यह माना है कि गबन का कोई आरोप नही पाया गया। केवल भारत सरकार की गाइड लाइन का उलंघन किया गया है। याची ने तत्कालीन मुख्य विकाश अधिकारी मेरठ के निर्देश पर अधिकारियों की मोजुदगी में नगद छात्रत्रवृति का वितरण किया है । गाइडलाइन के अनुसार मदरसा संचालको के खातों में छात्रवृत्ति भेजी थी जो प्रधानाचार्य के द्वारा छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण नियमानुसार कर दिया गया था ।